10 हजार उपनल कर्मी राज्य सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना का केस दायर करेंगे। ये मामला उत्तराखंड का है। देहरादून के यमुना कॉलोनी सभागार में रविवार को उपनल कर्मचारी महासंघ की बैठक में ये निर्णय लिया गया है। वक्तओं ने कहा कि अलग अलग विभागों से करीब 10 हजार कर्मचारियों के माध्यम से हाईकोर्ट में अवमानना केस दायर करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए चार सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई है। इसके साथ ही मार्च में दिल्ली में जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का निर्णय भी किया गया है। वक्ताओं ने बताया कि इसके लिए दिल्ली प्रशासन से अनुमति ली जा रही है। महासंघ की बैठक में सभी जिला, मंडल, विभाग अध्यक्ष समेत पदाधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने सरकार पर उपनल कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। इधर, उपनल के एमडी ब्रिगेडियर जेएनएस बिष्ट के मुताबिक उपनल कर्मियों के विषय में एसएलपी पर दिए गए फैसले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू दाखिल किया है। सरकार के स्तर पर इस विषय को देखा जा रहा है। शासन के जो भी निर्देश होंगे, उनका पालन किया जाएगा।

उपनल कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनेाद गोदियाल ने कहा कि नैनीताल हाईकोर्ट ने नवंबर 2018 में नियमितीकरण और समान कार्य समान वेतन देने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ सरकारी एसएलपी भी पिछले साल 15 अक्तूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। सरकार हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने के बजाए उलझाने का काम कर रही है। लिहाजा बैठक में सर्वसम्मति से सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना का सामुहिक केस दर्ज करने का निर्णय लिया गया है।

उपनल कर्मचारी महासंघ के मुताबिक अलग अलग विभागों से 10 हजार कर्मचारियों को जोड़ते हुए अवमानना याचिका दायर की जाएगी। इसके लिए मोहन रावत, महेश भट्ट, मीणा, दीपक संदेलिया की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया गया है। इसके साथ ही उपनल महासंघ ने मोहन रावत को कुमाऊं मंडल का अध्यक्ष और किरन मंद्रवाल को सलाहकार नियुक्त किया गया। बैठक में प्रदेश महामंत्री विनय प्रसाद, महेश भट्ट, भूपेश नेगी, दीपक शांडिल्य, मीना, विमला, जयदेव उनियाल, योगेश बडोनी, मोहन रावत, पीएस बोरा आदि मौजूद रहे।

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