पहाड़ी ठंडे राज्य हिमाचल प्रदेश की सियासत का तापमान पिछले एक महीने से गर्म बना हुआ है। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की खींचतान खुलकर सामने आई और अब इसका असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। जहां कांग्रेस आंतरिक कलह से उबर कर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है, वहीं भाजपा के सामने 2019 के लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। दरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज कर सरकार बनाई। यहां सरकार बनने के बाद कांग्रेस उम्मीद लगा रही है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन और बेहतर होगा।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह व उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह से खींचतान राज्यसभा चुनाव में खुलकर सामने आई। इसके चलते कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोट कर बहुमत होने के बावजूद अपने ही उम्मीदवार को चुनाव हरा दिया। इसका असर अब लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।

हालांकि अब सुक्खू व विक्रमादित्य मंच पर एकजुटता दिखाकर हालात सामान्य बनाने में लगे हुए हैं। उधर, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का गृह राज्य होने से चारों सीटों पर जीत का प्रश्न पार्टी की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है।

भाजपा ने उम्मीदवारों की घोषणा में बाजी मार ली है। हमीरपुर से केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और शिमला (एससी) से वर्तमान सांसद सुरेश कुमार कश्यप को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। कांगड़ा और मंडी में उम्मीदवार घोषित होना बाकी है। वहीं कांग्रेस ने एक भी टिकट घोषित नहीं किया है। मंडी से सांसद प्रतिभा सिंह का टिकट पक्का माना जा रहा है।

वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चारों सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन वर्ष 2021 में मंडी में हुए उपचुनाव में दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने जीत दर्ज कर सभी लोगों को चौंकाया था।

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