सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एक बड़ा बदालव हुआ है। अब एमबीबीएस कक्षाओं में पढ़ाई हिंदी में भी हुआ करेगी। इसके तहत सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल और फैकल्टी सदस्यों से कहा गया है कि वह स्टूडेंट्स को हिंदी में भी पढ़ाएं। इतना ही नहीं, उन्हें इससे संबंधित हर माह एक अपडेट रिपोर्ट मेडिकल शिक्षा महानिदेशक को भी भेजने के लिए कहा गया है।
हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने के लिए पिछले साल से ही तैयारी शुरू हो गई थी। एमपी में इसे लागू कर दिया गया है। यूपी में पिछले साल मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई शुरू की गई थी। कॉलेज की ओर से एमबीबीएस प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम से संबंधित किताबें हिंदी में तैयार की गई हैं। इसी तरह अन्य कॉलेजों ने भी किताबें हिंदी में तैयार की हैं।
अब इस वर्ष नए सत्र में इसे पूरी तरह से लागू करने का निर्देश दिया गया है। चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह ने सभी मेडिकल कॉलेजों, संस्थानों और केजीएमयू को पत्र भेजकर हिंदी में पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्देश दिया है। भेजे गए पत्र में कहा गया है कि 31 सितंबर को शासन की ओर से मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में पढ़ाई शुरू करने का निर्देश दिया गया है। ऐसे में हिंदी में पठन- पाठन की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए। मालूम हो कि एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो-केमिस्ट्री पढ़ाई जाती है। इन विषयों की किताबें हिंदी में उपलब्ध हैं।
सभी राज्य-संचालित, स्वायत्त मेडिकल कॉलेजों और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) और डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरएमएलआईएमएस) के अधिकारियों को एक पत्र में, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) किंजल सिंह ने कहा: “एक सरकार 31 अक्टूबर को जारी पत्र में कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के तहत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हिंदी में पढ़ाई शुरू की जाए।
हालांकि हिंदी की किताब में तकनीकी शब्दावली अंग्रेजी में ही रखी गई है। उसे हिंदी में समझाया भी गया है। ऐसे में छात्रों को समझने में आसानी होगी।
एचअी मीडिया के अनुसार, केजीएमयू के शिक्षक संघ के महासचिव सतोष कुमार का कहना है कि हिंदी माध्यम से पढ़ाई कर एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्रों को इससे सहूलियत मिलेगी। अब पर्याप्त संख्या में हिंदी में किताबें हैं। छात्रों को समझाने के लिए करीब 60 फीसदी से ज्यादा सामग्री हिंदी में है। एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढ़ाई शुरू करने से पहले, छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। अगर हिंदी में किताबें उपलब्ध होंगी तो वे बेहतर सीखेंगे।