जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को एक अहम आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि राजमार्ग पर उचित रखरखाव और निर्माण का काम चल रहा हो, तो वहां यात्रियों से टोल वसूलना अनुचित है। कोर्ट ने NH-44 के पठानकोट से उधमपुर तक के खंड में खराब सड़कों के कारण NHAI को टोल शुल्क में 80% की कमी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब सड़कों पर निर्माण कार्य चल रहा हो और वे उपयोग के योग्य न हों, तब यात्रियों से पूरा टोल शुल्क लेना गलत है। कोर्ट ने यह आदेश दिया कि पठानकोट-उधमपुर खंड पर लखनपुर और बन्न प्लाजा पर केवल 20% टोल ही लिया जाए। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और तब तक लागू रहेगा जब तक राजमार्ग पूरी तरह से उपयोग के लिए तैयार नहीं हो जाता।

कोर्ट का साफ संदेश खराब सड़कों पर टोल नहीं
कोर्ट ने इस मुद्दे को लेकर अपनी राय स्पष्ट करते हुए कहा, “अगर सड़कें खराब हैं और यात्रा करना असुविधाजनक है, तो यात्री से पूरा टोल लेना न केवल अनुचित है, बल्कि यह एक निष्पक्ष सेवा का उल्लंघन है।” कोर्ट का कहना था कि टोल केवल तब लिया जाता है जब सड़कें अच्छी स्थिति में हों और यात्रियों को यात्रा करने में कोई कठिनाई न हो।

एनएचएआई की दलील को खारिज किया
एनएचएआई ने अपनी दलील दी थी कि निर्माण कार्य के कारण सड़क की स्थिति खराब हो गई है, जिसके चलते कई खंडों में चार लेन की सड़क एक लेन में बदल गई है। हालांकि, कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में यात्रियों से पूरा टोल लेना गलत होगा। कोर्ट ने विशेष रूप से पठानकोट से डोमेल (कटरा) तक के NH-44 के खराब हालत का जिक्र किया, जिसमें गड्ढे, मोड़ और रुकावटें हैं।

टोल प्लाजा की स्थापना पर भी कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने यह भी कहा कि NH-44 के 60 किलोमीटर के दायरे में किसी भी नए टोल प्लाजा की स्थापना नहीं की जानी चाहिए। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पहले से स्थापित टोल प्लाजा को दो महीने के भीतर हटाने का आदेश दिया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि टोल प्लाजा की संख्या बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है, अगर सड़कें उचित स्थिति में नहीं हैं।

याचिका में क्या था?
यह जनहित याचिका सुगंध साहनी ने दायर की थी। उन्होंने याचिका में यह दावा किया था कि दिसंबर 2021 से निर्माण कार्य के बावजूद टोल वसूली जारी है, जबकि नियमों के अनुसार टोल केवल परियोजना के पूरा होने के 45 दिन बाद लिया जाना चाहिए। याचिका में यह भी बताया गया कि मार्ग पर कई बार डायवर्जन और रुकावटें आई हैं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। कोर्ट ने यह भी कहा कि जनता को खराब सड़कों और उच्च टोल शुल्क दोनों से ही परेशान होना पड़ता है। इस मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के बयान का हवाला भी दिया गया, जिसमें उन्होंने कहा था, “अगर सड़कें अच्छी स्थिति में नहीं हैं, तो टोल वसूली का कोई औचित्य नहीं है।”
 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights