महाकुंभ में हर्षा रिछारिया को लेकर विवाद के बाद निरंजनी अखाड़ा उनके साथ खड़ा हो गया है। कुछ संतों ने हर्षा के महाकुंभ में भाग लेने और अमृत स्नान की तैयारी पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद इस पर चर्चा शुरू हो गई थी।

‘वह नारी सशक्तिकरण की प्रतीक हैं…’
निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने हर्षा के बारे में कहा कि वह सनातन धर्म के प्रति समर्पित हैं और नारी सशक्तीकरण की प्रतीक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हर्षा को अनायास निशाना बनाया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी घोषणा की गई कि हर्षा रिछारिया मौनी अमावस्या पर रथ पर बैठकर अमृत स्नान करेंगी। इस दौरान वह संतों के साथ स्नान करेंगी, जिससे समाज में यह संदेश जाएगा कि धर्म और आध्यात्म में महिलाओं की अहम भूमिका है।

‘मेरा उद्देश्य युवाओं को धर्म के प्रति जागरूक करना है’
हर्षा रिछारिया ने एक वीडियो संदेश में कहा कि उनका उद्देश्य युवाओं को धर्म के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि वह समाज में धर्म को फैलाने के लिए आई हैं और उनके इस प्रयास में श्रीमहंत रवींद्र पुरी का समर्थन मिलने से उनका उत्साह बढ़ा है। दरअसल, हर्षा रिछारिया का विवाद तब सामने आया था, जब उन्होंने मकर संक्रांति के दिन श्री निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि के रथ पर बैठकर संगम में भगवा वस्त्र पहनकर स्नान किया था, जिसे लेकर कुछ संतों ने विरोध जताया था। महाकुंभ के मुख्य स्नान पर्व, मौनी अमावस्या पर, अखाड़ों से यह अपील की गई है कि वे त्रिवेणी में स्नान के निर्धारित समय का पालन करें। इस दिन करीब 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। मौनी अमावस्या के दौरान महाकुंभ के दूसरे ‘अमृत स्नान’ में भाग लेने के लिए 13 अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और लाखों साधु-संत त्रिवेणी में डुबकी लगाएंगे।

 

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