रोहतास जिले के देवरिया गांव में उस व्यक्ति के बुधवार को घर लौट आने से हड़कंप मच गया जिसकी 17 साल पहले कथित ‘‘हत्या” के मामले में उसके रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने बताया कि उसके चार रिश्तेदारों को 2008 में अकोढ़ीगोला पुलिस थाने में दर्ज हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था और वे दो साल जेल में रहे थे जिसके बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

अकोढ़ीगोला थानाध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि 12 सितंबर 2008 की रात देवरिया गांव निवासी नथुनी पाल की हत्या कर शव को गायब करने का मामला थाने में दर्ज कराया गया था। उन्होंने बताया कि इस मामले में देवरिया गांव के चार लोगों- रति पाल, विमलेश पाल, भगवान पाल और सत्येन्द्र पाल को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें दो साल बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि मामले की सुनवाई अभी जारी है।

दरअसल, नथुनी 2008 में घर छोड़कर चला गया था और उसे उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थानीय लोगों द्वारा एक ‘‘संदिग्ध व्यक्ति” के बारे में पुलिस को सूचित किए जाने के बाद हिरासत में लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान झांसी पुलिस को पता चला कि उसका नाम बिहार पुलिस के रिकॉर्ड में है। उन्होंने बताया कि उचित सत्यापन के बाद उसे उसके पैतृक गांव वापस लाया गया। हत्या मामले के एक आरोपी भगवान पाल ने कहा, ‘‘हमारे जीवन के वे बहुमूल्य वर्ष कौन लौटाएगा, जो हमने जेल में और अदालत के चक्कर लगाते हुए बिताए?”

 

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