केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के सात अधिकारियों के खिलाफ सरकारी भंडारण केंद्रों में बड़े पैमाने पर कथित चोरी और धोखाधड़ी से जुड़ी गतिविधियां तथा 1.8 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के लिए दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

आईटीबीपी की शिकायत पर दर्ज की गई पहली प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोप लगाया कि 2019-21 के दौरान पिथौरागढ़ में तैनात कमांडेंट अनुप्रीत बोरकर ने डिप्टी कमांडेंट दीपक गोगोई, पूरन राम, मुकेश चंद मीणा, निरीक्षक अनिल कुमार पांडे और ठेकेदार मदन सिंह राणा के साथ मिलकर कई अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जो मुख्य रूप से सीमा चौकियों पर सरकारी सामान और सामग्री पहुंचाने की निविदा प्रक्रिया से संबंधित थी।

सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया, ‘‘आरोपियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया, निविदा शर्तों में गड़बड़ियां की और अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहे, जिसके कारण सरकारी धन से बड़ी मात्रा में गबन हुआ और लगभग 1.54 करोड़ रुपये की हानि हुई।’’

अधिकारियों ने कहा कि दूसरा मामला 2017-18 और 2018-19 के दौरान सरकारी भंडारण केंद्र में कथित चोरी से संबंधित है। सीबीआई ने तत्कालीन कमांडेंट महेंद्र प्रताप, गोगोई, मीणा और ठेकेदारों मदन सिंह राणा, कुंदन सिंह भंडारी और पूरन सिंह बिष्ट पर सरकारी भंडार केंद्रों से बड़े पैमाने पर चोरी और धोखाधड़ी से जुड़ी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में मामला दर्ज किया है।

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