मणिपुर में जिस तरह से मई माह में हिंसा भड़की उसके बाद 160 से अधिक लोग इस हिंसा में अपनी जान गंवा चुके हैं, सैकड़ों लोग घायल हुए हैं, हजारों लोग विस्थापित हुए है। लेकिन बावजूद इसके मणिपुर हिंसा के बाद पहली बार विधानसभा सत्र में इस मसले पर चर्चा नहीं की गई।
मंगलवार को मणिपुर विधानसभा का सत्र बुलाया गया था। प्रदेश में हिंसा के बाद यह पहला विधानसभा सत्र था। इस सत्र को एक दिन के लिए बुलाया गया था। लेकिन सत्र महज 11 मिनट में खत्म हो गया। इस दौरान प्रदेश में हुई हिंसा पर कोई चर्चा नहीं हुई।
सत्र के अंत में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमे कहा गया कि बातचीत और संवैधानिक तरीकों से शांति की बहाली की जाए। एक दिन के सत्र को सिर्फ इसलिए बुलाया गया ताकि संवैधानिक जरूरतों को पूरा किया जा सके। दो सत्र के बीच में अधिकतम अंतराल छह महीने से ज्यादा नहीं हो सकता है और 2 सितंबर को यह समय पूरा हो रहा था।
सत्र के दौरान कूकी-जोमी के 10 विधायक सदन में नहीं पहुंचे। इन विधायकों का कहना था कि इंफाल वह सुरक्षा कारणों की वजह से नहीं जा सकते। हालांकि नागा समुदाय के 10 विधायक सत्र में मौजूद थे।
मणिपुर कांग्रेस चीफ और विधायक के मेघचंद्र सिंह ने सदन प्रस्ताव पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव का स्पीकर ने ऐलान नहीं किया, इसे स्पीकर की ओर से पढ़ा भी नहीं गया और ना ही इसपर सदन के भीतर कोई चर्चा हुई।
मंगलवार की सुबह 11 बजे जब सत्र शुरू हुआ तो स्पीकर थोकचोम सत्यब्रत सदन में पहुंचे। कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह ने बोलना शुरू किया। उन्होंने कहा कि यह क्या मजाक है, हमे लोकतंत्र की रक्षा करनी चाहिए, संविधान को बचाना चाहिए। उन्होंने एक दिन के लिए सत्र को बुलाए जाने का भी विरोध किया।
उन्होंने कहा कि सत्र को बुलाने से पहले 15 दिन का नोटिस राज्यपाल की ओऱ से दिया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिस तरह से यह सत्र बुलाया गया वह किसी आपात स्थिति जैसा था। यहां किसी भी तरह का नियम नहीं है। कांग्रेस के अन्य चार सांसदों ने सदन के भीतर संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ की तख्तियां दिखाई।
इस दौरान मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने सदन में दो मिनट का मौन रखने की प्रस्ताव रखा। लेकिन कांग्रेस की ओर से हंगामा जारी रहा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार फिलहाल प्रदेश की हिंसा पर चर्चा नहीं चाहती है। उन्होंने कहा कि जो मामला कोर्ट में है उसपर सदन में चर्चा नहीं हो सकती है।
एक तरफ जहां सदन में विपक्ष की ओर से भारी हंगामा हो रहा था तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ने सदन के भीतर चंद्रयान 3 की सफलता के बारे में बोलना शुरू किया। उन्होंने वैज्ञानिकों, प्रधानमंत्री मोदी को इस मिशन के लिए आभार जताया। उन्होने इस मिशन में शामिल डॉक्टर रघु का भी जिक्र किया जोकि प्रदेश के थांगा जिले से आते है।
हंगामे के बीच स्पीकर ने सदन की कार्रवाई को 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। महज 9 मिनट सदन चलने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था। सदन की कार्रवाई जब फिर से शुरू हुई तो कांग्रेस विधायकों ने फिर से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। जिसके चलते महज 2 मिनट के भीतर सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।