सावन मास का आज पहला सोमवार है। शिव भक्तों का तांता सुबह से ही शिवालयों में लगा है। हरिद्वार, बाबा भोले की नगरी वाराणसी हो, महाकाल का उज्जैन या फिर देवघर लोग कतारबद्ध हैं और भोले बाबा का जलाभिषेक कर रहे हैं। मंदिर और शिवालय बोल बम जयघोष से गुंजायमान हैं।

आज से कांवड़ यात्रा भी शुरू हो रही है इसे देखते हुए भी तमाम राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई है। हरिद्वार के दक्ष महादेव मंदिर में भक्त हाथों में पूजा की थाली लिए भोले बाबा का जलाभिषेक करने को आतुर दिखे। तो गंगा के किनारे कांवड़िए गंगाजल भर अपने अपने गंतव्य की ओर बढ़ते नजर आए।

काशी वासी भी शिव महिमा में डूबे दिखे। प्रातः भव्य मंगल आरती सम्पन्न हुई। काशी विश्वनाथ प्रशासन ने कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा कर मंगलमय यात्रा की कामना की। चप्पे चप्पे पर पुलिस की नजर है।

बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अहम स्थान रखने वाले काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के सोमवार के दिन जलाभिषेक का बड़ा ही महत्व होता है । लिहाजा श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ को जलाभिषेक करने को लेकर दूर दराज से वाराणसी पहुंचते हैं और बाबा जलाभिषेक कर अपनी मनोकामनाओं के पूर्ति करते हैं।

सावन के सोमवार को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की है श्रद्धालुओं को रेड कार्पेट से मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है तो वहीं भीड़ को देखते हुए जिक जैक रेलिंग के माध्यम से श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है।

गर्मी को ध्यान में रखकर भी मंदिर प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है। श्रद्धालुओं के लिए वॉटर कूलर और पंखे का बंदोबस्त किया गया है आज पूरी तरह से स्पर्श दर्शन और वीवीआईपी दर्शन पर भी रोक लगी है ताकि श्रद्धालुओं को दर्शन करने में परेशानी का सामना न करना पड़े।

देवघर में भी आज से विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले की शुरुआत हो चुकी है। देवघर के वैद्यनाथ धाम में देर रात से ही भक्तगण जलार्पण करने के लिए कतार में लग गए। पुलिस पूरे मेला क्षेत्र की मॉनीटरिंग कर रही है। एक अनुमान के अनुसार आज तकरीबन डेढ़ लाख श्रद्धालु भगवान भोले पर जलार्पण करेंगे।

आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का पट सुबह 4 बजे खोला गया है पहला सोमवार होने की वजह से आज श्रद्धालु बड़ी संख्या में वैद्यनाथ धाम पहुंच रहे हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम भी एक है। परंपरानुसार बिहार के सुल्तानगंज स्थित उतरवानी गंगा से जल उठाकर शिव भक्त 105 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा करते हैं और बाबा धाम में जलार्पण करते हैं।

उज्जैन में भी भक्तगण हजारों की संख्या में पहुंचे। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में प्रतिदिन सुबह तीन बजे होने वाली भस्म आरती के पट आज तड़के ढाई बजे ही खुल गए थे। फिर भस्म आरती हुई जो श्रावण मास होने के कारण विशेष रही। भस्म आरती में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे।

महाकालेश्वर मंदिर के पट प्रात खोले गए और विधिवत पूजन अर्चन किया गया। बाबा महाकाल का जल से स्नान कर पंचांमृत महाभिषेक किया गया। इसके बाद बाबा को भस्म रमाई गई। भस्म चढ़ाने के बाद धुप दीप आरती की गई। जिसे देखने लिए देश के कोने-कोने से श्रृद्धालु पहुंचे। मान्यता है कि जो भक्त श्रावण मास मे बाबा महाकाल की भस्मआरती के दर्शन करता है उसके सारे कष्ट दूर होकर सब प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है।

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