लखनऊ। कांग्रेस नेता के भाई अवधेश राय की हत्या के आरोपी मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज अवनीश गौतम की सरकार ने सुरक्षा बढ़ा दी है। दरअसल, मुख्तार अंसारी को सजा सुनाने वाले जज ने सरकार से अपने परिवार और खुद की सुरक्षा के लिए सरकार से मांग की थी। सरकार ने मामले की गंभीरता से लेते हुए जज और उनके परिवार के लोगों की सुरक्षा बढ़ा दी है। बता दें कि कांग्रेस नेता के भाई अवधेश राय की वर्ष 1991 में हुई अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। मुख्तार अंसारी समेत कई लोगों पर पुलिस हत्या का मुकदमा दर्ज किया था लम्बी लड़ाई के बाद सांसद-विधायक (एमपी-एमएलए) अदालत के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम ने मामले में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई।
इस मामले में मुख्तार अंसारी और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। अजय राय अब अपनी पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के क्षेत्रीय प्रमुख हैं। अजय राय ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘यह हमारे कई वर्षों के इंतजार का अंत है, मैंने, मेरे माता-पिता, मेरे भाई की बेटी और पूरे परिवार ने सब्र रखा था और हम मुख्तार अंसारी के आगे नहीं झुके। सरकारें आईं और गईं और मुख्तार ने खुद को मजबूत किया। लेकिन हमने हार नहीं मानी। आज अदालत ने मुख्तार को मेरे भाई की हत्या के मामले में दोषी ठहराया है।” राय ने कहा,‘‘मैं अदालत के फैसले का स्वागत करता हूं। जो माफिया के खिलाफ खड़े होंगे और लड़ेंगे उन्हें न्याय मिलेगा। हमें धमकियां मिली थीं। मैं सुरक्षा की मांग कर रहा हूं और इसे बढ़ाया जाना चाहिए। अगर मुझे कुछ होता है, तो भाजपा सरकार जिम्मेदार होगी।” मुख्तार के वकील ने फैसला सुनाते समय दोषी की उम्र पर विचार करने के लिए अदालत से आग्रह किया। एक सवाल के जवाब में मुख्तार के वकील ने कहा कि फैसले को पढ़ने के बाद वे ऊपरी अदालत में अपील करेंगे।
मुख्तार के वकील के जवाब के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय तक लड़ेंगे। जब हम 32 साल तक लड़ सकते हैं, तो हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।” सुनवाई के दौरान बांदा जेल में बंद मुख्तार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत की कार्यवाही में शामिल हुआ। अजय राय और उनके भाई घर वाराणसी स्थित अपने घर के दरवाजे पर खड़े थे, तभी मुख्तार अंसारी सहित कुछ हमलावर वहां एक कार से पहुंचे और अवधेश को गोली मार दी। अजय राय ने जवाबी कार्रवाई में अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से गोली चलायी थी, जिसके बाद हमलावर कार छोड़कर फरार हो गए। इसके बाद अवधेश को कबीरचौरा के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
गौरतलब हैं कि मुख्तार अंसारी पड़ोसी जिले मऊ की सदर विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक रह चुका है। मुख्तार अंसारी ने 2022 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था और उसकी सीट पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से किस्मत आजमा रहे उसके बेटे अब्बास अंसारी को विधायक चुना गया था। गाजीपुर की एक अदालत ने 29 अप्रैल को तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज 2007 के एक मामले में मुख्तार अंसारी को 10 साल और उसके भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी को चार साल की जेल की सजा सुनाई थी। मुख्तार अंसारी को 29 अप्रैल को दोषी ठहराए जाने के बाद विशेष महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा, ‘‘मुख्तार और अफजाल अंसारी के खिलाफ दर्ज 61 मामलों में से 20 मामलों की सुनवाई राज्य की विभिन्न अदालतों में चल रही है।”
अवधेश राय के भाई अजय राय वाराणसी से पांच बार विधायक रहे। वह कोलसला विधानसभा क्षेत्र से 1996 से 2007 (तीन बार) तक भाजपा विधायक रहे। उन्होंने 2009 के विधानसभा उपचुनाव में उसी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में पिंडरा सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। राय 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से कांग्रेस के उम्मीदवार थे और वह अरविंद केजरीवाल के बाद तीसरे स्थान पर रहे, जबकि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने इस चुनाव में जीत हासिल की थी। वर्ष 2017 में, राय कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में पिंडरा से उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव हार गए। वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार राय को हार का सामना करना पड़ा। गाजीपुर जिले में तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की 29 नवंबर, 2005 को हुई हत्या तथा वाराणसी में 22 जनवरी, 1997 को व्यापारी नंद किशोर रुंगटा उर्फ नंदू बाबू के अपहरण और हत्या के मामले में गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गयी थी।
उत्तर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने सोमवार को जारी एक बयान में बताया कि उप्र पुलिस की प्रभावी पैरवी के क्रम में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को छह मामलों में अब तक सजा सुनायी जा चुकी है। बयान के मुताबिक मुख्तार को गाजीपुर में गैंगस्टर मामले में 15 दिसंबर 2022 को 10 वर्ष की सजा व पांच लाख रुपये जुर्माना, लखनऊ में उच्च न्यायालय द्वारा 21 सितंबर को सात वर्ष के कठोर कारावास व 25 हजार रुपये का जुर्माना, लखनऊ में ही गैंगस्टर एक्ट के एक अन्य मामले में 23 सितंबर 2022 को पांच वर्ष कठोर कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माना, दिल्ली में आयुध अधिनियम और टाडा अधिनियम में 10 वर्ष के कारावास और साढ़े पांच लाख रुपये जुर्माना, गाजीपुर में गैंगस्टर अधिनियम में 10 वर्ष के सश्रम कारावास और पांच लाख रुपये अर्थदंड की सजा पहले ही सुनाई जा चुकी है।
बयान के मुताबिक सोमवार को वाराणसी की सांसद-विधायक अदालत द्वारा आजीवन कारावास तथा एक लाख 20 हजार का जुर्माना लगाया गया है। प्रशांत कुमार ने अपने बयान में कहा कि आपराधिक माफिया मुख्तार अंसारी आईएस (इंटर स्टेट)-191 गिरोह का सरगना है और वह थाना मोहम्मदाबाद गाजीपुर का हिस्टीशीटर है। उन्होंने कहा कि मुख्तार के खिलाफ उत्तर प्रदेश, पंजाब, नयी दिल्ली, आदि प्रदेशों में कुल 61 मामले दर्ज हैं। उन्होंने बताया कि उप्र के गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, सोनभद्र, आगरा, लखनऊ, बाराबंकी, मऊ,आजमगढ आदि जनपदों में उसके विरुद्ध अभियोग पंजीकृत हैं। बयान के मुताबिक मुख्तार के परिवार के सदस्य अफजाल अंसारी व शिबगतुल्लाह अंसारी (भाई), अब्बास अंसारी व उमर अंसारी (पुत्र), आफसा अंसारी (पत्नी), निखत बानो (बहू) आदि उसके आपराधिक कृत्यों में सहयोगी और उसके गैंग के सदस्य रहे हैं। बयान में कहा गया है कि उप्र पुलिस मुख्यालय द्वारा चिह्नित माफिया मुख्तार अंसारी और उसके गैंग सदस्यों, सहयोगियों की 586 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का जब्त की गई या ध्वस्त की गई। बयान में कहा गया है कि अभियुक्त से संबंधित लगभग 2100 करोड़ रुपये से अधिक के अवैध व्यवसाय बंद कराने की कार्यवाही की गयी।