सरकार ने खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, प्रोसेसर और बड़ी श्रृंखलाओं के खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं भंडारण की सीमा लगा दी है। कीमतों में स्थिरता और जमाखोरी रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने सोमवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एकल खुदरा विक्रेता, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेता, प्रोसेसर और थोक विक्रेता हर शुक्रवार को अपने पास भंडारित गेहूं के स्टॉक का खुलासा करेंगे।

चोपड़ा ने कहा, ‘‘मैं देश में गेहूं की कमी को दूर करना चाहता हूं।’’ उन्होंने यह कहा कि अभी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध है और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध की समीक्षा करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि गेहूं की कीमतें स्थिर रहें।’’

चोपड़ा ने आगे बताया कि थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 3,000 टन होगी, जबकि यह प्रोसेसर के लिए यह प्रसंस्करण क्षमता का 70 प्रतिशत होगी।

उन्होंने बताया कि बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन प्रति बिक्री केन्द्र की होगी, जिसकी कुल सीमा 3,000 टन होगी तथा एकल खुदरा बिक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन की होगी।

चोपड़ा ने बताया कि हाल ही में मीडिया में आई उन खबरों के मद्देनजर स्टॉक सीमा लगाई गई है, जिनमें कहा गया है कि गेहूं सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं।

उन्होंने बताया कि जमाखोरी को कम करने के लिए स्टॉक सीमा लगाई गई है।

उन्होंने बताया कि एक अप्रैल, 2023 को गेहूं का शुरुआती स्टॉक 82 लाख टन था, जबकि एक अप्रैल, 2024 को यह 75 लाख टन था।

उन्होंने कहा कि पिछले साल 266 लाख टन की खरीद की गई थी, जबकि इस साल सरकार ने 262 लाख टन की खरीद की है और खरीद अभी भी जारी है। इसलिए (शुरुआती स्टॉक में) गेहूं की कमी सिर्फ तीन लाख टन की है।

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