दिल्ली पुलिस ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि दिसंबर 2023 में संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने से संबंधित मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों को गिरफ्तारी के आधारों से “अच्छी तरह अवगत” कराया जा चुका है।

अदालत ने पूछा था कि क्या मामले में गिरफ्तार आरोपियों को गिरफ्तारी के आधार बताए गए थे।

अभियोजक ने न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ के समक्ष कहा, “हम उन्हें गिरफ्तारी के आधार बता चुके हैं। केस डायरी में यह दर्ज है, गिरफ्तारी ज्ञापन में भी कहा गया है कि गिरफ्तारी के आधार बताए जा चुके हैं। अधीनस्थ न्यायालय के न्यायिक आदेश और हमारे हिरासत आवेदन में भी इसका उल्लेख है।”

उच्च न्यायालय ने दलीलें सुनीं और मामले में गिरफ्तार आरोपियों नीलम आजाद व महेश कुमावत की जमानत याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया।

याचिकाओं पर आदेश 20 मई को सुरक्षित रखा गया था, लेकिन अदालत ने बुधवार को इस बिन्दु पर दलीलें सुनीं कि क्या आरोपियों को गिरफ्तारी का आधार बताया गया था।

 वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी पर सुरक्षा में सेंध की एक बड़ी घटना के तहत आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी. शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक गैलरी से कथित तौर पर लोकसभा कक्ष में कूद गए, जिसके बाद उन्होंने ‘कैनिस्टर’ से पीली गैस छोड़ी और नारेबाजी की, तभी कुछ सांसदों ने उन्हें काबू कर लिया। लगभग उसी समय, दो अन्य आरोपियों – अमोल शिंदे और आजाद – ने संसद परिसर के बाहर “तानाशाही नहीं चलेगी” के नारे लगाते हुए ‘कैनिस्टर’ से रंगीन गैस छोड़ी थी।

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