सीएम योगी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकनिष्ठ नेतृत्व में भारत सरकार का हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय अभिनंदनीय है। 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हमारे महान संविधान का गला घोंटते हुए देश पर ‘आपातकाल’ थोप कर भारतीय लोकतंत्र की हत्या का कुप्रयास किया था। असंख्य सत्याग्रहियों के बलिदानों के पश्चात देश में लोकतंत्र पुनर्स्थापित हुआ, किंतु आज भी आपातकाल की भयावह स्मृतियां हमारे लोकतंत्र के माथे पर कलंक के समान विद्यमान हैं।”
उन्होंने कहा, “ कांग्रेस जैसे अधिनायकवादी, तानाशाही दलों की संविधान और लोकतंत्र विरोधी कुचेष्टाओं तथा षड्यंत्रों के प्रति हर भारतीय को सजग और सचेत रखने का प्रयास ‘संविधान हत्या दिवस’ भारतीय लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करेगा। निश्चित ही यह दिवस हर नागरिक के मन में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान व विश्वास की लौ को सदैव प्रज्वलित रखेगा। इस ऐतिहासिक निर्णय हेतु आदरणीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह जी का हार्दिक आभार।”
शिवराज सिंह चौहान ने भी केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय आने वाली पीढ़ियों को आपातकाल की क्रूर यातनाओं और उत्पीड़न के काले अध्याय के बारे में याद दिलाता रहेगा। यह निर्णय आपातकाल का विरोध कर भारतीय लोकतंत्र को मजबूती देने वाले प्रत्येक लोकतंत्र सेनानी के प्रति सरकार के सम्मान को प्रदर्शित करता है। आपातकाल का विरोध करने पर जेलों में डाले गए लोगों के संघर्ष, दुःख, बलिदान और त्याग की गाथा कभी भुलाई नहीं जा सकती। मुझे भी आपातकाल के समय 17 वर्ष की आयु में जेल भेजा गया था। आज भी उन दिनों की क्रूरतम यातनाओं को याद कर हृदय में सिहरन दौड़ जाती है। लोकतंत्र और संवैधानिक प्रक्रिया पर कुठाराघात के प्रतीक आपातकाल के विरोध में संघर्ष करने वाले सभी लोकतंत्र सेनानियों को नमन करता हूं, लोकतंत्र के इन प्रहरियों का संघर्ष लोगों को सदैव प्रेरणा देता रहेगा।”
वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा की भी इस पर प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, “25जून 1975 वह काला दिन था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तानाशाही मानसिकता ने हमारे संविधान में निहित लोकतंत्र की हत्या कर देश पर ‘आपातकाल’ थोपा था। केंद्र सरकार ने प्रत्येक वर्ष 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह दिवस हमारे सभी महापुरुषों के त्याग व बलिदान का स्मरण कराएगा, जो कांग्रेस के इस तानाशाही मानसिकता के विरुद्ध संघर्ष करते हुए संविधान की रक्षा व लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए यातनाएं सही और दिवंगत हो गए। प्रत्येक वर्ष लोकतंत्र की महत्ता का स्मरण कराने वाले इस निर्णय के लिए मैं प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करता हूं।”