यूपी के संभल जिले के शाही जामा मस्जिद से जुड़े मामले में कोर्ट कमिश्नर ने शाही जामा मस्जिद के सर्वे की रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में पेश की। यह मसला उस याचिका से जुड़ा है, जिसमें शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया था। यह याचिका 19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में दाखिल की गई थी, जिसके बाद मस्जिद का सर्वे किया गया था।

सर्वे के दौरान, प्रशासन को समय की कमी के कारण पूरी प्रक्रिया को पूरा करने में दिक्कत आई। इसके बाद कोर्ट कमिश्नर ने 24 नवंबर को फिर से शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने का निर्णय लिया और इस बार उनके साथ जिले के डीएम और एसपी भी मौजूद थे। हालांकि, इस दौरान हिंसा की घटनाएं हुईं, जिसके बारे में प्रशासन ने कहा कि कुछ लोग शाही जामा मस्जिद का सर्वे नहीं होने देना चाहते थे। इसके बावजूद, पुलिस प्रशासन की कड़ी निगरानी में सर्वे किया गया, और रिपोर्ट तैयार की गई।

सर्वे की रिपोर्ट 9 दिसंबर को न्यायालय में पेश की जानी थी, लेकिन कोर्ट कमिश्नर ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए 15 दिन का समय मांगा। यह समय 24 दिसंबर को पूरा हुआ, लेकिन तब भी रिपोर्ट को न्यायालय में पेश नहीं किया गया था। अंततः 2 जनवरी 2025 को कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में रिपोर्ट पेश की।

कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने न्यायालय में लगभग 40 से 45 पन्नों की रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में शाही जामा मस्जिद के हर कोण से की गई फोटोग्राफी शामिल है। दोनों पक्षों को पूरा ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में मस्जिद के सर्वे के दौरान लिए गए सभी फोटोग्राफ्स और आवश्यक विवरण शामिल किए गए हैं, ताकि दोनों पक्षों की बातों को सही तरीके से प्रस्तुत किया जा सके। कोर्ट द्वारा आगे की कार्रवाई की प्रतीक्षा की जा रही है।

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