प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए सरकार के गठन के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा पर गुरुवार को कोलंबो जाएंगे जो भारत की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति के अनुरूप है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि श्रीलंका यात्रा पर विदेश मंत्री साझेदारी के व्यापक मुद्दों पर द्वीप राष्ट्र के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठकें करेंगे।
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “यह यात्रा श्रीलंका के प्रति भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, क्योंकि यह हमारा सबसे करीबी समुद्री पड़ोसी और समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला मित्र है। यह यात्रा विभिन्न क्षेत्रों में कनेक्टिविटी परियोजनाओं और अन्य पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को गति प्रदान करेगी।”
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को कहा था कि अधिशेष नवीकरणीय ऊर्जा की भारत को बिक्री के बारे में बातचीत चल रही है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति के मीडिया विभाग ने एक बयान में कहा, “श्रीलंका और भारत के बीच बिजली लाइन कनेक्शन स्थापित करने के लिए वर्तमान में एक व्यवहार्यता अध्ययन किया जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्री की आगामी श्रीलंका यात्रा के दौरान इस पर आगे चर्चा की उम्मीद है।”
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि श्रीलंका और भारत के बीच जमीनी कनेक्शन के लिए एक प्रारंभिक व्यवहार्यता अध्ययन पूरा हो चुका है। निकट भविष्य में एक पूर्ण व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा।
श्रीलंका के राष्ट्रपति 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आये थे।
उस समय उन्होंने भारतीय निवेश के साथ श्रीलंका में शुरू की गई विकास परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी के लिए जयशंकर की आगामी श्रीलंका यात्रा पर चर्चा की।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति के मीडिया विभाग ने 10 जून को एक बयान में कहा था, “भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति पर भी चर्चा हुई। मंत्री जयशंकर ने त्रिंकोमाली में एक औद्योगिक क्षेत्र की योजना पर प्रकाश डाला, जिसे भारत सरकार द्वारा स्थापित किया जाएगा, जो कई भारतीय निवेशकों और अन्य देशों के संभावित निवेशकों को आकर्षित करेगा।”