मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के ग्राम ताल लिधौरा में एक अजीब और विवादित स्थिति पैदा हुई, जब 85 वर्षीय ध्यानी सिंह घोष का निधन हुआ और उनके अंतिम संस्कार को लेकर उनके दो बेटों के बीच विवाद हो गया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि मामला पुलिस तक पहुँच गया, जो अंत में इसे सुलझाने में कामयाब रही।

श्यामकृष्ण कॉलोनी के निवासी ध्यानी सिंह घोष के निधन के बाद उनके छोटे बेटे दामोदर ने अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी थीं। घर में परिजनों और रिश्तेदारों का आना-जाना शुरू हो गया था, जब अचानक बड़े बेटे किशन सिंह घोष भी अपने परिवार के साथ पहुंचे। वे मृतक के अंतिम संस्कार में अपनी भागीदारी की मांग करने लगे। किशन का कहना था कि उन्होंने अपने पिता की सेवा नहीं की, लेकिन वह अब अंतिम संस्कार का अधिकार रखते हैं।

इसके विपरीत, छोटे बेटे दामोदर ने दावा किया कि उसने ही अपने पिता की देखभाल की थी और उसने अपने पिता को अंतिम समय में सारा सहयोग दिया था। ऐसे में, उसे ही अंतिम संस्कार करने का अधिकार होना चाहिए। परिजनों का कहना था कि जब ध्यानी सिंह की तबियत बिगड़ी थी, तो बड़े बेटे किशन ने उनकी कोई सुध नहीं ली और न ही उन्हें अपने पास रखा। मामला इतना बढ़ा कि दोनों भाई एक-दूसरे से उलझ पड़े। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब बड़े बेटे किशन ने यह तक कह दिया कि वह पिता के शव को दो हिस्सों में काटकर अलग-अलग संस्कार करेगा। यह सुनकर गांव के लोग हैरान रह गए और इस स्थिति को शांत करने के लिए पुलिस को सूचित किया।

ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की। पुलिस ने दामोदर को अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी, क्योंकि परिजनों और रिश्तेदारों ने भी यही बात कही थी। इसके बाद, पुलिस की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ और छह घंटे के भीतर दामोदर ने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। जतारा थाना प्रभारी अरविंद सिंह दांगी ने बताया कि गांव के लोग और रिश्तेदारों से बातचीत के बाद उन्होंने छोटे बेटे दामोदर को ही अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी और बड़े बेटे किशन को सहयोग करने की सलाह दी। पुलिस की मदद से परिवार के लोग इस मामले को सुलझा पाए और शांतिपूर्वक अंतिम संस्कार सम्पन्न हुआ।

 

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