आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (नेशनल साइंस डे) है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर इसको लेकर पोस्ट लिखा है। उन्होंने इसमें लिखा है कि “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की शुभकामनाएं। हमारी सरकार युवाओं में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है। विकसित भारत के हमारे सपने को साकार करने के लिए यह महत्वपूर्ण है।” बता दें कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पीएम मोदी ने एक्स पर अपने संदेश के साथ एक वीडियो भी पोस्ट किया है। वह इस वीडियो में कह रहे हैं कि आज पूरी दुनिया भारत की साइंटिफिक स्पिरिट का, हमारी टेक्नोलॉजी का और हमारे साइंटिफिक टेम्परामेंट का लोहा मान चुकी है। वह आगे कहते हैं कि आज नेशनल साइंस डे है, देश का विज्ञान महोत्सव। 28 फरवरी 1928 की तारीख जब सर सीवी रमन ने अपनी खोज रमन इफेक्ट की घोषणा की थी। यही तो खोज थी जिसने उन्हें नोबेल पुरस्कार दिलाया था। जिज्ञासा विज्ञान की जननी है। विज्ञान और टेक्नोलॉजी के बिना इनोवेशन संभव नहीं है। आज नेशनल साइंस डे पर इनोवेशन पर बल मिले। ज्ञान, विज्ञान, टेक्नोलॉजी सभी हमारी विकास यात्रा के सहज हिस्से बने।

पीएम मोदी का विज्ञान और तकनीक से कैसा जुड़ाव रहा है यह उनकी एक पुरानी हस्तलिखित प्रति से मालूम पड़ जाएगा। इसे मोदी आर्काइव एक्स हैंडल पर शेयर किया गया है। जिसमें पीएम मोदी ने लिखा है कि ‘साइंस इज यूनिवर्सल बट टेक्नोलॉजी मस्ट बी लोकल’। यानी विज्ञान सार्वभौमिक है लेकिन प्रौद्योगिकी स्थानीय होनी चाहिए। यह उनकी पर्सनल डायरी का हिस्सा है।

वैसे आपको याद ही होगा कि पीएम नरेंद्र मोदी लगातार हर मंच से विज्ञान, तकनीक और वोकल फॉर लोकल को लेकर जोर देते रहे हैं। वह देश के युवाओं, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों से लगातार देश में नई तकनीक की विकास यात्रा के साथ जुड़ने का आह्वान करते रहे हैं। पीएम की इसी पहल का नतीजा है कि देश चंद्रयान, सूर्ययान के बाद अब मानव जनित गगनयान की दिशा में आगे बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी जैसे आपदा काल में देश में स्वदेशी वैक्सीन का भी निर्माण हुआ और हमने अपने देशवासियों को तो सुरक्षित किया ही पूरी दुनिया के कई देशों के नागरिकों को इन वैक्सीन के जरिए एक तरह का सुरक्षा घेरा इस वायरस के खिलाफ प्रदान किया।

पीएम मोदी कई मंचों से विज्ञान की सार्वभौमिकता के साथ तकनीक के लोकल होने की बात पर बल दे चुके हैं। वह कई कार्यक्रमों में इसको लेकर उदाहरण के जरिए भी समझा चुके हैं। वह यह भी कहते रहे हैं कि साइंस और तकनीक तब तक अधूरी रहेगी जब तक आम लोगों को इसका फायदा नहीं मिलेगा।

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