संसद से पारित होने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई। अब यह बिल कानून बन गया। इसे लेकर शिवसेना (UBT) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने एनडीए पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि वक्फ बिल और हिंदुत्व का कोई संबंध नहीं है। लगता है इनका अगला लक्ष्य काशी, मथुरा और दिल्ली है। राम मंदिर, हिंदुत्व की तीखी आलोचना करने वाले नीतीश कुमार, पासवान उस बाजार में मौजूद हैं।

उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा कि संसद में वक्फ संशोधन बिल पास हो गया। वक्फ बिल और हिंदुत्व का आपस में कोई संबंध नहीं है। कुछ लोगों ने वैसा संबंध जोड़ने का प्रयास किया। वो निरर्थक है। हिंदुत्व के मुद्दे पर अनावश्यक निरर्थक काम होने की बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जाहिर की है। संघ के अगले कदम महत्वपूर्ण नजर आ रहे हैं। लगता है इनका अगला लक्ष्य काशी, मथुरा और दिल्ली है।

सामना में लिखा गया है कि वक्फ संशोधन बिल क्या लाया गया

जो वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन नहीं करेंगे, वह वैसे हिंदुत्ववादी, ऐसी चुटकी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ली है। उनका निशाना उद्धव ठाकरे की शिवसेना की ओर था। वक्फ संशोधन विधेयक का हिंदुत्व से क्या संबंध है? मुसलमानों की संपत्ति पर सरकारी नियंत्रण लाने के लिए मोदी सरकार ने यह विधेयक लाया। यह सीधे तौर पर प्रॉपर्टी वॉर है। इसमें हिंदू-मुसलमान का मुद्दा कहां है? वक्फ बोर्ड के पास लगभग सवा दो लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसमें मौके की जमीनें हैं। 2010 में लालू यादव ने कहा था कि वक्फ बोर्ड सरकारी जमीनों पर कब्जा कर रहा है। वक्फ के खिलाफ सख्त कानून बनाना चाहिए। तब मनमोहन सिंह की सरकार थी। अब मोदी-शाह की है। इस सरकार ने यह बिल लाकर हमेशा की तरह हिंदू-मुस्लिम का खेल खेला है। जगह-जगह हिंदू-मुसलमानों के बीच नफरत भड़काना और फिर अपना काम साध लेना। वक्फ के जरिए जमीन हड़पने वाले पहले और लोग थे, अब और लोग हैं। भाजपा ने यह विधेयक वक्फ की इफरात संपत्ति को देखते हुए लाया है। समाज सुधार, जनसेवा, गरीब मुसलमानों का हित वगैरह झूठ है।

हिंदुत्व का बाजार

मुख्य पत्र सामना में यह भी कहा गया है कि भाजपा और उसके लोग हिंदुत्व का बाजार लगाए बैठे हैं। उस बाजार में औरंगजेब से लेकर अफजल खान तक सब कुछ है। राम मंदिर, हिंदुत्व की तीखी आलोचना करने वाले नीतीश कुमार, पासवान उस बाजार में मौजूद हैं। भाजपा के हिंदुत्व का झंडा आज वे फहरा रहे हैं। उनके ढोंग कई बार बेनकाब हो चुके हैं। इस परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका अधिक पारदर्शी और निर्णायक प्रतीत होती है। भाजपा के धर्मभ्रष्टों ने औरंगजेब की कब्र को तोड़ने के लिए अपनी छाती पीट ली। औरंगजेब को कब्र से बाहर निकाले बगैर हिंदुत्व का तेज नहीं चमकेगा, ऐसा जिन्हें लगता है, उनका दिमाग आरएसएस ने ठिकाने पर ला दिया है।

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