भारतीय रेलवे ने बीते कुछ वर्षों में यात्री सुविधाओं को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसमें वंदे भारत एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम और सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें प्रमुख हैं। इन ट्रेनों की तेज़ रफ्तार, अत्याधुनिक सुविधाएं और समयबद्धता ने यात्रियों को आकर्षित किया है। लेकिन इन सबके बीच एक बड़ा सवाल यह भी है – क्या इन ट्रेनों से सरकार को अच्छी कमाई हो रही है?

RTI में हुआ खुलासा: राजस्व का अलग रिकॉर्ड नहीं
मध्य प्रदेश के निवासी चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दायर एक सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के जवाब में रेलवे मंत्रालय ने चौंकाने वाली जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि रेलवे ट्रेन के हिसाब से होने वाली कमाई का अलग से रिकॉर्ड नहीं रखता। उन्होंने बताया कि विभाग “ट्रेन-वार” राजस्व नहीं मापता, जिससे वंदे भारत या शताब्दी जैसी किसी विशेष ट्रेन से होने वाली कमाई को स्पष्ट रूप से बताया नहीं जा सकता।

यात्री संख्या और दूरी का ब्योरा मौजूद, लेकिन कमाई का नहीं
रेलवे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वंदे भारत एक्सप्रेस वर्तमान में 102 मार्गों पर संचालित हो रही है, जो कि देश के 24 राज्यों और 284 जिलों को जोड़ती है। अब तक इन ट्रेनों से दो करोड़ से अधिक यात्री सफर कर चुके हैं। 2023-24 में वंदे भारत ट्रेनों द्वारा तय की गई कुल दूरी इतनी थी कि वह पृथ्वी के चारों ओर 310 चक्कर लगाने के बराबर है। हालांकि यात्रियों की संख्या और दूरी की गणना उपलब्ध है, लेकिन इससे हुई कमाई का ब्योरा रेलवे के पास नहीं होना हैरान करने वाला है।

बढ़ती बुकिंग दर: लोकप्रियता की मिसाल
रेलवे की एक पुरानी RTI के जवाब में यह भी बताया गया कि वंदे भारत ट्रेनों में औसतन 92% सीटें बुक रहती हैं। यह दर कई अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में कहीं अधिक है। इसका मतलब है कि इन ट्रेनों की लोड फैक्टर काफी उच्च है, जिससे संभावित राजस्व भी उच्च होना चाहिए।

रेलवे का कुल यात्री राजस्व कितना है?
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए रेलवे ने यात्री राजस्व में 16% वृद्धि का अनुमान जताया है। इससे कुल पैसेंजर रेवेन्यू ₹92,800 करोड़ तक पहुँचने की संभावना है। इसमें वंदे भारत, शताब्दी, एसी-3 और अन्य प्रीमियम ट्रेनों का योगदान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि इसमें से वंदे भारत या शताब्दी ट्रेनों से कितनी आय हुई, यह अलग से पता नहीं लगाया जा सकता।

क्या रेलवे को चाहिए एक ट्रेनों के हिसाब से राजस्व रिपोर्टिंग सिस्टम?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर रेलवे को ट्रेन-वार राजस्व की जानकारी होती, तो इससे नीति निर्धारण, किराया निर्धारण और नई सेवाओं की योजना बनाने में मदद मिलती। यात्रियों की संख्या और दूरी जैसे आँकड़े तो उपलब्ध हैं, लेकिन बिना राजस्व डेटा के ये अधूरी तस्वीर पेश करते हैं।

ट्रेनों की रफ्तार है तेज़, पर राजस्व आंकड़ों की तस्वीर धुंधली
वंदे भारत और शताब्दी जैसी ट्रेनों की तेज़ी और आधुनिकता तो निश्चित ही रेलवे की बड़ी उपलब्धियां हैं, लेकिन इनसे जुड़ी कमाई की पारदर्शिता अभी भी सवालों के घेरे में है। यात्रियों की संख्या और सीट बुकिंग दर से यह साफ है कि ये ट्रेनें लाभकारी हो सकती हैं, लेकिन जब तक रेलवे इनसे जुड़े राजस्व का डेटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराता, तब तक यह सिर्फ एक अनुमान ही रहेगा।

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