समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने महाकुंभ भगदड़ में हुई मौतों के बारे में पारदर्शिता की मांग की है और सरकार से मौतों, घायलों के उपचार और आयोजन के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में सही आंकड़े पेश करने का आग्रह किया है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस में भाग लेते हुए अखिलेश ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की और सिफारिश की कि आपदा प्रबंधन तथा खोया-पाया केंद्र को सेना को सौंप दिया जाए।

उन्होंने कहा, “सरकार लगातार बजट के आंकड़े दे रही है, लेकिन महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी बताए। मैं मांग करता हूं कि महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर स्पष्टीकरण के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। महाकुंभ आपदा प्रबंधन और खोया-पाया केंद्र की जिम्मेदारी सेना को दी जाए। महाकुंभ दुर्घटना में हुई मौतों, घायलों के उपचार, दवाइयों, डॉक्टरों, भोजन, पानी, परिवहन की उपलब्धता के आंकड़े संसद में पेश किए जाएं।”

लोग पुण्य कमाने आए थे, अपनों के शव लेकर गए- अखिलेश 
यादव ने इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों और तथ्यों को छिपाने वालों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की मांग की तथा आंकड़ों को दबाने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “महाकुंभ त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए और जिन लोगों ने सच्चाई छिपाई है, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। हम डबल इंजन की सरकार से पूछते हैं कि अगर कोई गलती नहीं थी, तो आंकड़ों को क्यों दबाया गया, छिपाया गया और मिटाया गया?” सपा प्रमुख ने कहा, “लोग पुण्य कमाने आए थे और अपनों के शव लेकर गए हैं।”

उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला तेज करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जहां उचित व्यवस्था होनी चाहिए थी, वहां राजनीतिक प्रचार हो रहा था। उन्होंने कहा, “धार्मिक आयोजन में राजनीतिक प्रचार करना, खासकर डबल इंजन वाली सरकार में, शर्मनाक और निंदनीय है। दावा किया गया था कि महाकुंभ डिजिटल तरीके से और आधुनिक तकनीक से आयोजित किया जाएगा। सीसीटीवी, ड्रोन और लाइव स्ट्रीमिंग के आधार पर डिजिटल कुंभ आयोजित करने का दावा करने वाले लोग मृतकों का डिजिटल रिकॉर्ड भी नहीं दे पा रहे हैं।”

सीएम योगी पर साधा निशाना 
उन्होंने कहा कि यह “चमत्कारी बात” है कि श्रद्धालुओं के शव मिल गए, लेकिन सरकार इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उन्होंने पूछा, “जब यह जानकारी सामने आई कि कुछ लोगों की जान चली गई है, तो सरकार ने क्या किया? उन्होंने फूल बरसाने के लिए सरकारी हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया। क्या यही हमारी सनातन परंपरा है?” यादव ने कहा, “हमारे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तो संवेदना भी व्यक्त नहीं की। जब देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने संवेदना व्यक्त की तो सरकार ने 17 घंटे बाद इसे स्वीकार किया।”

भगदड़ में 30 लोगों की मौत 
मौनी अमावस्या पर दूसरे शाही स्नान के दौरान महाकुंभ मेले में भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम 30 लोगों की जान चली गई और लगभग 60 लोग घायल हो गए। मौनी अमावस्या स्नान अनुष्ठान के दौरान मची भगदड़ से निपटने के सरकार के तरीके पर कई विपक्षी नेताओं ने चिंता जताई।

 

 

 

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights