बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव 15 अगस्त से प्रदेश की यात्रा पर निकलने वाले थे। 2025 के अंत में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले वो जनता के मिलकर मौजूदा एनडीए सरकार के खिलाफ अपनी बात रखने जाने वाले थे लेकिन इससे ठीक पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में नई चार्जशीट दाखिल कर दी है। ED द्वारा दाखिल चार्जशीट में आरोपी के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और राजद सांसद मीसा भारती का नाम शामिल है। ईडी की टीम इस मामले की मनी लॉन्ड्रिंग से जांच कर रही है। लालू परिवार के खिलाफ एजेंसी ने 100 पन्नों की जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें लालू और तेजस्वी के अलावा 8 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है।
अदालत में नई चार्जशीट के आधार पर अब बहस शुरू होगी, जिसके लिए न्यायाधीश विशाल गोगने ने 13 अगस्त की तारीख तय की है। इससे पहले ED ने इसी साल जनवरी में लालू परिवार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस चार्जशीट में राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और अमित कात्याल के नाम शामिल थे। इसके अलावा रेलवे के पूर्व कर्मचारी हृदयानंद चौधरी का नाम भी चार्जशीट में था। उस वक्त इस मामले की जांच CBI ने शुरू की थी, जिसके बाद ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के ऐंगल से मामले को हाथ में लिया।
जांच एजेंसी का आरोप है कि जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 के दौरान रेल मंत्री थे, तब Group-D की नौकरियां देने के एवज में लोगों से सस्ते दाम पर या फ्री में जमीनें ली गईं। इस केस में लालू यादव समेत परिवार के कई लोग आरोपी हैं। एजेंसी के मुताबिक जिन लोगों से नौकरी के बदले जमीन ली गई, वो गरीब परिवारों से हैं। ED के अलावाCBI ने भी इस केस में लालू परिवार को आरोपी बनाया है।
केंद्रीय एजेंसी का दावा है कि नौकरी के बदले जमीन का पूरा खेल एके इन्फोसिस्टम्स और एबी एक्सपोर्ट्स के नाम पर किया गया। अधिकारियों का मानना है कि इन कंपनियों को लालू परिवार को फायदा देने के लिए बनाया गया था। बता दें कि एके इन्फोसिस्टम्स ने 1.89 करोड़ रुपये में जमीन के 11 टुकड़े खरीदे थे फिर बाद में महज 1 लाख रुपये में लालू परिवार के सदस्यों के नाम पर ट्रांसफर कर दिया।