प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को बताया कि एजेंसी ने पटना में रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल द्वारा स्वीकृत मुआवजे की कथित हेराफेरी से जुड़े धन शोधन के मामले में तीन अधिवक्ताओं को गिरफ्तार किया है। ईडी ने एक बयान में बताया कि एजेंसी ने हाल ही में बिहार के पटना और नालंदा तथा कर्नाटक के मंगलुरु में न्यायाधीश आर के मित्तल और कुछ वकीलों से संबंधित चार ठिकानों पर छापेमारी की।

मिली जानकारी के मुताबिक, इस ‘घोटाले’ से संबंधित धन शोधन के अपराध के लिए बुधवार को तीन वकीलों विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा और विजय कुमार को गिरफ्तार किया गया। एजेंसी ने बताया कि तीनों को पटना में एक विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ईडी ने बताया कि उक्त मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है। प्राथमिकी में पटना में रेलवे दावा न्यायाधिकरण द्वारा दायर, जांच और तय किए गए मृत्यु दावा मामलों में ‘बड़े पैमाने पर’ अनियमितता और आपराधिकता का आरोप लगाया गया है।

ईडी ने आरोप लगाया कि रेलवे से जुड़े दुर्घटनावश मृत्यु दावा मामलों में दावेदारों को दी गई निर्धारित राशि का केवल एक हिस्सा ही उन्हें मिला और एक बड़ा हिस्सा साजिशकर्ताओं ने हड़प लिया। ईडी के मुताबिक, “विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने लगभग 900 मामलों को निपटाया, जहां न्यायाधीश आर के मित्तल द्वारा निष्पादन आदेश जारी किए गए और दावेदारों को लगभग 50 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। ” टीम में परमानंद सिन्हा और विजय कुमार शामिल थे।

 

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