उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो ‘गुप्त रूप से राष्ट्र विरोधी धर्म परिवर्तन’ कर रहे हैं जिसे खत्म करना न सिर्फ सरकार या किसी संगठन बल्कि हर जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी है। आदित्यनाथ ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के तीन दिवसीय 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन दिवस पर एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए ‘धर्म परिवर्तन’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ”हमारे बीच ऐसे लोग हैं जो गुप्त रूप से राष्ट्र विरोधी धर्म परिवर्तन कर रहे हैं।”

सीएम योगी ने कहा, ”इसे खत्म करना न केवल सरकार या किसी संगठन की जिम्मेदारी है, बल्कि हर जागरूक नागरिक की भी है।” उन्होंने बताया कि साल 2019 में एक मंदिर में संत की हत्या की साजिश रचने के आरोप में दो युवकों की गिरफ्तारी के बाद गहन जांच में पता चला कि उनके दिल्ली के बटला हाउस से जुड़े एक धार्मिक उपदेशक से संबंध थे। आदित्यनाथ के मुताबिक, आगे की जांच में पता चला कि उनके पूर्वजों ने तीन पीढ़ी पहले इस्लाम धर्म अपना लिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच में पता चला कि दिल्ली के बटला हाउस इलाके से एक बड़ा गिरोह चलाया जा रहा था जिसमें मूक-बधिर बच्चों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था।गुड़गांव और कानपुर में भी इसी तरह के मामले सामने आए जहां धर्म परिवर्तन के इस नेटवर्क ने 500 परिवारों को प्रभावित किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में अदालत ने धर्म परिवर्तन के लिए जिम्मेदार तीन प्रमुख लोगों सहित सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

योगी आदित्यनाथ ने स्वयं सहायता समूह ‘टीच’ के सह-संस्थापक और प्रोफेसर यशवंतराव केलकर पुरस्कार से सम्मानित दीपेश नायर के प्रयासों की सराहना करते हुए मूक-बधिर बच्चों से जुड़े ‘राष्ट्र विरोधी धर्मांतरण’ के मुद्दे से संबंधित यह घटना साझा की। उन्होंने एबीवीपी के आदर्श वाक्य- ज्ञान, शील, एकता का जिक्र किया। मुख्यमंत्री के मुताबिक, गीता में भी कहा गया है कि इस दुनिया में ज्ञान के समान कोई दूसरा पवित्र करने वाला नहीं है तथा ज्ञानवान बनने के लिए ज्ञान को धारण करने वाले ऋषियों की परंपरा का यहां सम्मान किया गया है। उन्होंने कहा कि युवाओं को मौजूदा गतिशील युग में प्रभावी रूप से आगे बढ़ने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाना चाहिए और विज्ञान व प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रही प्रगति के बारे में जागरूकता के साथ ज्ञान और सद्गुणों का सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है।

 

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