बिहार की तरह अब उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना को एक बड़ा मुद्दा बनाए जाने की कवायद जारी है। नेता प्रतिपक्ष और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव लगातार विभिन्न मंचों से इस मुद्दे को उठा रहे हैं। उन्हें इस पर कांग्रेस से भी समर्थन मिलता नजर आ रहा है। शनिवार को ईद के मौके पर राजधानी लखनऊ स्थित ऐशबाग ईदगाह मैदान पहुंचे अखिलेश यादव ने एकबार फिर इस मुद्दे को उठाया।

मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान सपा सुप्रीमो ने कहा, रामराज्य, समाजवाद तभी संभव है, जब जातीय जनगणना हो। जातीय जनगणना होने से सबका साथ-सबका विकास होगा। जातीय जनगणना से ही भाईचारा आएगा। जातीय जनगणना से ही भेदभाव खत्म होगा, जातीय जनगणना से ही लोकतंत्र मजबूत होगा। जातीय जनगणना से ही समाजवाद आएगा। जातीय जनगणना से ही रामराज्य आएगा।

सत्ता में रहने पर हमेशा जातीय जनगणना के मुद्दे पर मौन साधे रखने वाली कांग्रेस भी अब इसका खुलकर समर्थन कर रही है। पिछले दिनों कर्नाटक में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने इसका समर्थन करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला था। जिसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को खत लिखकर जातीय जनगणना कराने की मांग की।

दरअसल, जातीय जनगणना के समर्थन में सपा, बसपा, राजद, जदयू, डीएमके समेत कई बड़े रीजनल दल हैं। ऐसे में कांग्रेस इस मुद्दे के जरिए तमाम विपक्षी दलों को 2024 के आम चुनाव से पहले एक प्लेटफॉर्म पर ला रही है। केंद्र सरकार द्वारा जनगणना कराने से इनकार करने के बाद बिहार सरकार इसे अपने खर्च पर करा रही है। वहीं, उत्तर प्रदेश में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार के खिलाफ इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुके हैं। वे लगातार पिछड़े समाज से आने वाले बीजेपी नेताओं को इस मसले पर मुखर होकर बोलने की चुनौती दे रहे हैं।

 

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