अयोध्या: रामनगरी अयोध्या में अगले साल जनवरी में होने वाले राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले शहर को उत्तर प्रदेश की पहली ‘सोलर सिटी’ के रूप में विकसित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम जारी है। अधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (यूपीनेडा) ने राम नगरी को राज्य की पहली ‘सोलर सिटी’ के रूप में विकसित करने का काम शुरू कर दिया है।
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने एक पखवाड़े ने बताया था कि आगामी 22 जनवरी को होने वाले ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देशभर से लगभग 10 हजार गणमान्य लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। अधिकारियों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत रूप से अयोध्या में जारी कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इसी साल मई में मंदिर शहर को सौर ऊर्जा से रोशन करने संबंधी कार्य का निरीक्षण करने के बाद कहा था, “अयोध्या सूर्यवंश की राजधानी है। इसलिए यहां बिजली अन्य स्रोतों से नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा से आएगी।”
इस परियोजना में सरयू के किनारे एक सौर पार्क विकसित करना, सौर ऊर्जा से चलने वाली नौकाएं प्रदान करना, सौर स्ट्रीट लाइट लगाना, सार्वजनिक परिवहन में सौर ऊर्जा स्रोतों को अपनाना, विद्युतीकरण के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट जैसी सौर ऊर्जा संचालित सुविधाएं प्रदान करना शामिल है। सरकारी भवन भी सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं और घरेलू उपयोग के लिए सौर ऊर्जा की पहुंच में सुधार कर रहे हैं। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यह परियोजना उत्तर प्रदेश की महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा नीति-2022 का हिस्सा है। योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू 16 नगर निगमों और नोएडा को ‘सोलर सिटी’ के रूप में विकसित करना है। सौर ऊर्जा नीति के अनुसार, कोई भी शहर जहां बिजली की 10 प्रतिशत मांग नवीकरणीय ऊर्जा के जरिये पूरी की जाती है, उसे ‘सोलर सिटी’ माना जाएगा।