रोजा क्षेत्र में मामूली विवाद में हुई रामबाबू की हत्या के मामले में करीब 21 साल के बाद फैसला आया है। विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति-जनजाति एक्ट आलोक कुमार शुक्ला ने हत्या में दोषी पाए जाने पर तीन सगे भाइयों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। प्रत्येक अभियुक्त पर 22-22 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।
रोजा क्षेत्र के मोहल्ला आदर्शनगर कॉलोनी निवासी शांति स्वरूप ने 23 जुलाई 2003 को रोजा थाने में तहरीर दी कि रात 9 बजे उसका छोटा भाई रामबाबू घर से मोहल्ले के ही टिंकू की दुकान पर सीडी कैसेट लेने गया था। दुकान के सामने बुद्ध प्रकाश से संदीप शर्मा हाथापाई कर रहा था। रामबाबू ने झगड़ा करने से मना किया तो नहीं माने, इतने में संदीप के भाई राजेश और संतोष शर्मा तमंचा और लाइसेंसी बंदूक लेकर वहां आ गए और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए तीनों ने रामबाबू पर हमला कर दिया, राजेश शर्मा ने तमंचे से फायर कर दिया, जो रामबाबू के पेट में लगा और वह जख्मी होकर जमीन पर गिर गया। फिर सभी मारने लगे। इसमें बुद्ध प्रकाश को भी चोटें आईं।
शांति स्वरूप ने बताया कि घटना के समय वह बाजार से बल्ब लेने पहुंचा था। उसके व अन्य लोगों के ललकारने पर हमलावर भाग गए। जिला अस्पताल में रामबाबू को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। तहरीर के आधार पर रोजा पुलिस ने मामले में रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना कर आरोप पत्र न्यायालय भेजा। न्यायालय विशेष न्यायाधीश ने गवाहों के बयान और विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार मिश्रा और नरेश कुमार शर्मा के तर्कों को सुनने और पत्रावली का अवलोकन कर तीनों भाइयों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

 

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