कांग्रेस के जिन नेताओं को टिकट नहीं मिल रहा है। वे बसपा में शा‌मिल हो रहे हैं। पिछले चुनाव में बसपा के 6 विधायक चुनाव जीते थे। उदयपुरवाटी से राजेंद्र सिंह गुढ़ा, तिजारा से संदीप कुमार, किशनगढ़बास से दीपचंद, नगर से वाजिब अली, नदबई से जोगिंदर सिंह अवाना और करौली से लाखन सिंह मीना चुनाव जीते थे। ये सभी बसपा के उम्मीदवार थे। सादुलपुर और मुंडावर विधानसभा में बसपा दूसरे स्‍थान पर थी।
मायावती और सीएम गहलोत की सियासी अदावत जगजाहिर है। सियासी पंडितों की मानें तो मायावती सीएम अशोक गहलोत से नाराज हैं। कारण, गहलोत दो बार बसपा के विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में शामिल कर लिए। 2018 राजस्‍थान विधानसभा चुनाव में बसपा पूरे 6 विधायकों को सीएम गहलोत कांग्रेस में शामिल कर लिए थे।
बसपा का पूर्वी राजस्‍थान में सबसे अधिक प्रभाव है। झुंझुनू, अलवर, भरतपुर, करौली, चुरू और करौली में बसपा का सबसे अधिक प्रभाव है। बसपा के भरतपुर में 2, अलवर में दो, झुंझुनू और करौली में एक-एक विधायक हैं। चुरू के एक सीट पर बसपा दूसरे स्‍थान पर थी। मायावती का इन्हीं जिलों में फोकस रहेगा। मायावती खुद प्रचार का कमान संभालेंगी। इन जिलों के 40 सीटों पर बसपा प्रत्याशी को 10 से 15 हजार वोट आसानी से मिल जाते हैं। ये वोट कांग्रेस के माने जाते हैं। इस बार ऐसा होता है तो बीजेपी को फायदा मिलेगा।

राजनैतिक पं‌डितों का मानना है कि मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगा। बसपा तीसरी ताकत है। राजस्‍थान में बसपा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस बाद गहलोत मायावती के निशाने पर होंगे। बसपा के विधायकों को तोड़ने की वजह से मायावती नाराज हैं। टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस के नेता बसपा में शामिल हो गए हैं। बसपा ने तुरंत टिकट देने की घोषण कर दी है। बसपा ने इस बार किसी के साथ गठबंधन नहीं करने की घोषणा की है। सभी 200 विधानसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेगी।

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