उत्तर प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को सुधारने के साथ-साथ योगी सरकार ने न्यायिक प्रक्रिया तक आम लोगों की पहुंच को आसान बनाने के जो प्रयास किए हैं, वो अब धरातल पर दिखाई दे रहे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में लोक अदालतें भी जनता को जटिल कानूनी प्रक्रियाओं के पेंच से निकालकर त्वरित निस्तारण का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।
यूपी स्टेट लीगल सर्विसेस अथॉरिटी की रिपोर्ट से इस बात पर मुहर लग गई है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022-23 से 2023-24 के मध्य अगस्त तक कुल 6 लोक अदालतें लगाई गईं जिनमें कुल मिलाकर 3.30 करोड़ मामलों का निस्तारण हुआ। यह न केवल एक रिकॉर्ड है बल्कि इस बात को भी दर्शाता है कि लोक अदालतों में मामलों के निस्तारण के लिहाज से उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्यों में है।
यूपी स्टेट लीगल सर्विसेस अथॉरिटी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 से अब तक कुल 6 लोक अदालतें लगाई गईं जिनमें कुल मिलाकर 3.30 करोड़ मामलों का निस्तारण हुआ है। इसमें से मुकदमे से पूर्व की प्रक्रिया के अंतर्गत 2.93 करोड़, जबकि लंबित केसेज के अंतर्गत 37.09 लाख मामलों का निस्तारण हुआ है।
प्रदेश में 12 मार्च 2022 को हुई लोक अदालत में कुल 28.3 लाख मामले मुकदमे से पूर्व की प्रक्रिया के अंतर्गत सुलझाए गए। जबकि 4.24 लाख लंबित मामलों का निस्तारण हुआ। वहीं, 14 मई 2022 को हुई लोक अदालत में 36.70 मामले मुकदमे से पूर्व की प्रक्रिया के अंतर्गत निस्तारित किए गए।
उत्तर प्रदेश में लोक अदालतों की सक्षम कार्यप्रणाली का लाभ आपराधिक व मध्यस्तता संबंधी विवाद निपटारे के मामलों में प्रदेश की जनता को व्यापक रूप से मिल रहा है। यूपी स्टेट लीगल सर्विसेस अथॉरिटी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में वर्ष 2022 से लेकर 2023 में अब तक आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए कुल तीन लोक अदालतें लगाई गईं।
इनमें से 9 से 11 नवंबर 2022 के मध्य आयोजित लोक अदालत में 1.01 लाख, 8 फरवरी से 10 फरवरी 2023 के मध्य आयोजित हुई लोक अदालत में 1.06 लाख व 18 से 20 मई 2023 के बीच आयोजित हुई लोक अदालत में 86 हजार से ज्यादा मामलों का निस्तारण हुआ। इस तरह, कुल मिलाकर 2.94 लाख मामलों का निस्तारण हुआ है। वहीं, 2022 से अब तक आयोजित हुए लोक अदालतों में मध्यस्तता के कुल 10474 मामलों का सफलतापूर्वक निस्तारण किया गया।