उत्तर प्रदेश के 3 युवकों से विदेश में नौकरी के नाम पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मामला सामने आया है। जहां नौकरी के लिए म्यांमार गए एक इंजीनियर समेत 3 दोस्तों को बंधक बना लिया गया है। इंजीनियर के परिजनों से 8.14 लाख रुपये की फिरौती भी वसूली गई। रकम ट्रांसफर होने के बाद से इंजीनियर से परिजनों का संपर्क नहीं हो पा रहा है। जिसके बाद अब सभी ने वीडियो जारी कर भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। बंधक बनाए गए युवकों का कहना है कि बंदूक की नोक पर हम लोगों से 18 से 20 घंटे साइबर फ्रॉड से जुड़ा काम करवाया जा रहा है। अगर हम लोग मना करते हैं, तो हमारे साथ मारपीट की जाती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बंधक बनाए गए युवकों का कहना है कि अगर हमारे साथ ऐसा ही होता रहा तो हम लोग ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह पाएंगे। इन लोगों ने हमें छोड़ने के बदले में एक युवक सागर के परिजनों से 8.14 लाख रुपए लिए, लेकिन अभी तक किसी को भी नहीं छोड़ा गया। सागर के परिजनों ने लखनऊ स्थित ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल में इसका मुकदमा दर्ज कराया है। बंधक बनाए गए 3 युवकों में से 2 लखनऊ और 1 बाराबंकी का रहने वाला है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बसहा कुर्सी रोड पर रहने वाले राहुल उर्फ आरुष ने बताया कि वह मलेशिया में कई महीने काम कर चुका था। अपेंडिक्स की बीमारी होने की वजह से वह भारत वापस आ गया। दोबारा काम पर लौटने के लिए उसने सुपरवाइजर रॉबिन से संपर्क किया। सुपरवाइजर के कहने के बाद वह अपने 2 दोस्तों सागर और अजय को भी अपने साथ ले गया।
बाराबंकी के रहने वाले अजय कुमार ने भी वीडियो जारी किया। जिसमें अजय ने कहा कि चीन की कंपनी करा रही है स्कीमिंग। उसने आगे बताया कि मैं 26 मार्च 2024 को दोस्त सागर के साथ जॉब के लिए मलेशिया के लिए निकला था। हम लोग लखनऊ से हैदराबाद और वहां से बैंकॉक के रास्ते यहां पहुंचे। थाइलैंड में एक होटल में रुके। फिर कैब लेकर म्यांमार पहुंचे। अजय का कहना है कि हम लोगों को फंसाने में डीलर का हाथ है। उसने हम लोगों को किसी दूसरी कंपनी को बेच दिया है। यहां पर हम लोगों के साथ अजीब हरकतें हो रही हैं।