आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को उनके सहयोगियों के परिसरों पर छापेमारी की। संजय सिंह ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी ने सर्वेश मिश्रा के दिल्ली स्थित विठ्ठल भाई पटेल हाउस स्थित परिसरों पर छापेमारी की। आप नेता ने एक ट्वीट में यह भी कहा कि ईडी ने अजीत त्यागी के परिसरों पर छापा मारा।

संजय सिंह ने आरोप लगाया गया है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति ने कुछ डीलरों का पक्ष लिया, जिन्होंने इसके लिए कथित तौर पर रिश्वत दी थी, इस आरोप का आप ने जोरदार खंडन किया था। बाद में नीति को रद्द कर दिया गया।

मुंबई में मौजूद संजय सिंह ने कहा कि आज सुबह पता चला कि मेरे सहयोगियों (अजीत त्यागी और सर्वेश मिश्रा) के घर पर छापेमारी चल रही है तो मैं ईडी को बताना चाहता हूं कि मैं न झुकूंगा न रूकूंगा। हम मोदी सरकार के इस हथकंडे के सामने कोई भी समझौता नहीं करने वाले हैं, हम आपसे लड़ेंगे और पूरे देश के सामने ईडी का किसी तरह से दुरुपयोग हो रहा है इसे उजागर करेंगे।

एक अन्य ट्वीट में संजय सिंह ने कहा कि मोदी की दादागिरी चरम पर है। मैं मोदी की तानाशाही के ख़िलाफ़ लड़ रहा हूं। ED की फर्जी जाँच को पूरे देश के सामने उजागर किया। ED ने मुझसे गलती मानी। जब कुछ नही मिला तो आज मेरे सहयोगियों अजीत त्यागी और सर्वेश मिश्रा के घर ED ने छापा मारा है। सर्वेश के पिता कैंसर से पीड़ित हैं ये जुर्म की इंतेहा है। चाहे जितना जुर्म करो लड़ाई जारी रहेगी।

 

 क्या है दिल्ली शराब नीति मामला?

दरअसल, दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी लागू करती है। इस नीति के लागू होने के बाद दिल्ली सरकार दावा करती है कि इससे राजस्व में इजाफा होगा, साथ ही माफिया राज भी खत्म होगा। लेकिन दावे के मुताबिक, सबकुछ उल्टा हुआ।

जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव की ओर से उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी जाती है। रिपोर्ट में आरोप लगाया जाता है कि डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति के जरिए शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही उपराज्यपाल की ओर से मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की जाती है।

17 अगस्त 2022 को सीबीआई मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर देती है। केस में मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया जाता है। फिर मामले में 22 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री होती है। ईडी की ओर से आबकारी नीति में मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया जाता है। करीब छह महीने की जांच के बाद मनीष सिसोदिया को पहले सीबीआई फिर ईडी गिरफ्तार कर लेती है। इसी मामले में सीबीआई अरविंद केजरीवाल से भी पूछताछ कर चुकी है।

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