स्वीडन की डिफेंस प्रोडक्ट मेकिंग कंपनी साब (एसएएबी) पैदल सैनिकों के कंधे पर रखकर चलाए जाने वाले रॉकेट लॉन्चर कार्ल गुस्ताफ एम-4 का निर्माण अब भारत में करने का ऐलान किया है। सोमवार को दोनों देशों के कंपनी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में हरियाणा के झज्जर में प्रोडक्शन यूनिट की नींव रखी गई। यहां एक साल बाद प्रोडक्शन कार्य शुरू होने की उम्मीद है। साब डिफेंस प्रोजेक्ट्स, के मामले में भारत में 100 प्रतिशत एफडीआइ हासिल करने वाली पहली कंपनी है।

मेक इन इंडिया के तहत होगा निर्माण

साब के वाइस प्रेसिडेंट जी. जॉनसन ने कहा, भारत में इस हथियार के इस्तेमाल का लंबा इतिहास रहा है, अब इस शानदार प्रोडक्ट का निर्माण भारत में शुरू करेंगे। स्वीडन के विदेश व्यापार के राज्य सचिव हाकन जेवरेल ने कहा, साब मेक इन इंडिया की शर्तों को पूरा करते हुए भारत में हथियार के निर्माण का काम शुरू करेगी।

1970 से भारत कर रहा इस्तेमाल

कार्ल-गुस्ताफ कंधे पर रखकर फायर करने वाला हथियार है, जो 1500 मीटर तक यानी डेढ़ किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन को निशाना बना सकता है। इसे भविष्य और बाजार की जरूरतों के हिसाब से लगातार मोडिफाइड किया जा रहा है। कार्ल गुस्ताफ एम-3 का इस्तेमाल भारतीय सेना 1970 से ही कर रही है। इस हथियार के कारण भारतीय सेना को बेहद कम साजो सामान के साथ चलने में सहूलियत मिलती है।

कैसा है ये रॉकेट लॉन्चर

-कार्ल गुस्ताफ एम-4 से पहले इसके तीन वैरिएंट आ चुके थे, जिनमें एम-1, एम-2 और एम-3 शामिल है। एम-3 का प्रोडक्शन पहले से ही भारत की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में हो रहा है।

-कार्ल गुस्ताफ 8.4 सेमी रिकॉइललेस राइफल का नाम कार्ल गुस्ताफ स्टैड्स गेवर्सफैक्टोरी के नाम पर रखा गया है, जिसने शुरुआत में इसे बनाया था।

-इस रॉकेट लॉन्चर से बिल्डिंग में छिपे दुश्मनों को भी मारा जा सकता है। इसी हथियार से यूक्रेनी सेना ने कई रूसी टैंकों को ध्वस्त किया है।

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