मुज़फ्फरनगर। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सीएम पुष्कर सिंह धामी हेलीकॉप्टर से पुलिस लाइन में पहुंचे। यहां से रामपुर तिराहा स्थल पर शहीदों के सम्मान में होने वाले कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सोमवार को रामपुर तिराहा कांड के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे। सीएम धामी हेलीकॉप्टर से पुलिस लाइन में सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर पहुंचे। इसके बाद वह यहां से रामपुर तिराहा स्थल पर पहुंचे और शहीदों के सम्मान में होने वाले कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, जिला पंचायत अध्यक्ष वीरपाल निर्वाल, भाजपा जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी, पूर्व जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला, पूर्व विधायक प्रमोद ऊंटवाल, पूर्व विधायक उमेश मलिक, सत्यप्रकाश रेशू, अमित ठाकुर, सुनील दर्शन आदि भी मौजूद रहे।
नौ नवंबर 2000 को नए राज्य का गठन हुआ था। साल 1995 में रामपुर तिराहा कांड की सीबीआई जांच शुरू कराई गई। 2003 में मुजफ्फरनगर के तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह नामजद किए गए थे। साल 2023 में अदालती प्रक्रिया में तेजी आई और सभी पत्रावलियों पर सुनवाई शुरू हो गई। एक पीड़िता ने भी अदालत पहुंचकर बयान दर्ज कराए हैं।
उत्तराखंड़ संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और रजनीश चौहान बताते हैं कि पीड़िता के अलावा कई प्रमुख साक्षी अदालत में पहुंच चुके हैं। सीबीआई के विवेचक भी साक्ष्य के लिए आए थे। तत्कालीन गृह सचिव डॉ. दीप्ति विलास की गवाही हो चुकी है।
रामपुर तिराहा कांड में दर्जनों आंदोलनकारियों की जान चली गई थी, अब यह मामला कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट में सीबीआई बनाम मिलाप सिंह, सीबीआई बनाम राधा मोहन द्धिवेदी, सीबीआई बनाम एमपी मिश्रा, -सीबीआई बनाम ब्रजकिशोर सिंह के मुकदमे का ट्रायल चल रहा है। विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट में -सीबीआई की ओर से आरोपी बनाए गए तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक मोती सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष -राजबीर सिंह और एक अन्य मामले में आरोपियों की मौत होने के कारण यह मामले समाप्त कर दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहे पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे।