मुजफ्फरनगर के कवाल कांड के बाद 10 साल पहले आज के ही दिन नंगला मंदौड़ में हुई पंचायत के बाद जनपद में सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था। दंगे के दौरान हुई 60 से अधिक हत्या, आगजनी और मारपीट की घटनाओं पर 510 मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 100 से अधिक मुकदमों में अदालत फैसला सुना चुकी है।
27 अगस्त 2013 को जानसठ क्षेत्र के गांव कवाल में ममेरे भाईयों सचिन और गौरव निवासी मलिकपुरा और कवाल निवासी शाहनवाज की हत्या से तनाव व्याप्त हो गया था। फिर 7 सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ में पंचायत हुई। पंचायत से लौट रहे लोगों का टकराव होने पर जनपद भर में सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था। दंगे के दौरान 60 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जबकि 50 हजार से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा था।
सभी घटनाओं पर 510 मुकदमे दर्ज हुए। जिनमें 175 मामलों में एसआइटी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। जबकि 165 मामलों में साक्ष्य के अभाव में एफआरआई लगा दी गई। झूठे पाए जाने पर 170 मुकदमे खारिज किए गए। 10 वर्ष के दौरान करीब 100 से अधिक मुुकदमों में आए फैसले में 1100 से अधिक आरोपित बरी हो गए। वहीं, दंगे के दौरान दुष्कर्म के दर्ज अलग-अलग सात मुकदमों में से केवल एक में दोषियों को सजा मिली है। इनमें महेशवीर और सिकंदर को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई।
27 अगस्त को मलिकपुरा निवासी ममेरे भाई सचिन-गौरव की हत्या हुई थी। इस मामले में आरोपित कवाल निवासी मुजस्सिम, मुजम्मिल, फुरकान, नदीम, जहांगीर और इकबाल, अफजाल सहित सात दोषियों को 8 फरवरी 2019 को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
कवाल कांड के दो दिन बाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे। पुलिस ने 28 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था। जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तत्कालीन भाजपा विधायक विक्रम सैनी सहित 12 लोगों को 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद विक्रम सैनी की सदस्यता चली गई थी।