मुख्तार अंसारी प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री मान ने गुरुवार को राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के इतने बड़े अपराधी को पंजाब की रोपड़ जेल में सारी सुख सुविधाओं के साथ रखा गया था। हालत यह थी कि 48 बार वारंट जारी करने के बावजूद मुख्तार को पेश नहीं किया गया। पंजाब के पूर्व कांग्रेस सरकार उसे बचाने की कोशिश में जुटी हुई थी और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में महंगे वकील को नियुक्त किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से नियुक्त वकील एक बार की पेशी का 11 लाख रुपए लेते थे। पांच बार की पेशी का वकील का खर्च 55 लाख रुपए आया है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से इस रकम का भुगतान नहीं किया जाएगा और इसीलिए मैंने वकील के खर्चे की इस फाइल को लौटा दिया है। उन्होंने कहा कि जिन तत्कालीन मंत्रियों के आदेश पर यह फैसला लिया गया था, इस खर्च की वसूली उन मंत्रियों से किए जाने के संबंध में विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के करदाताओं के पैसे की लूट को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
इस बीच बिल्डर को फोन करके 10 करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप तय हो गए हैं। अब इस मामले में अभियोजन पक्ष की गवाही शुरू होगी। इस मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होने वाली है। मोहाली के एक नामी बिल्डर ने 2019 में मुख्तार अंसारी के खिलाफ पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी। बिल्डर का आरोप था कि अंसारी की ओर से धमकी देकर उससे दस करोड़ रुपए मांगे गए थे। इस मामले को लेकर मुख्तार अंसारी करीब ढाई साल तक पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था। पंजाब पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर उत्तर प्रदेश से लाई थी। मुख्तार अंसारी को पंजाब ले जाए जाने के बाद यूपी पुलिस की ओर से उसे यूपी लाने की कई कोशिशें की गईं मगर पंजाब की तत्कालीन सरकार उसे यूपी भेजने से लगातार इनकार करती रही।
पंजाब की पूर्व सरकार की ओर से मुख्तार अंसारी की पैरवी को लेकर पिछले दिनों भी सियासी माहौल गरमाया था। पंजाब के जेल मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने मुख्तार को लेकर पंजाब विधानसभा में भी सनसनीखेज खुलासा कर चुके हैं। उन्होंने पंजाब विधानसभा में कहा था कि फर्जी एफआईआर के आधार पर मुख्तार को 2 साल 3 महीने तक रोपड़ जेल में रखा गया मगर इस दौरान चालान तक पेश नहीं किया गया। उनका कहना था कि जेल में मुख्तार की सारी सुख सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा गया और यहां तक कि मुख्तार की पत्नी भी उसके साथ ही जेल में रहती थी। जेल मंत्री ने कहा था कि यूपी सरकार की ओर से मुख्तार के खिलाफ 26 बार प्रोडक्शन वारंट निकालने के बावजूद उसे यूपी नहीं भेजा गया। जब यूपी सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई तो पंजाब सरकार की ओर से लाखों रुपए फीस लेने वाले वकील की सेवाएं ली गईं। उनके इस बयान पर विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों की ओर से जमकर हंगामा भी किया गया था।