लखनऊ के थाना नगराम के अंतर्गत मोती का पुरवा के विकास वर्मा को एक महिला को प्रेम जाल में फंसाकर अपहरण करने और दुराचार करने का दोषी पाया गया है। विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति जनजाति निवारण अधिनियम, दिनेश कुमार मिश्रा ने विकास वर्मा को 10 साल की कठोर कारावास की सजा और 17,500 रुपये का जुर्माना सुनाया है।

इस मामले की रिपोर्ट 2 सितंबर 2008 को पीड़िता के पिता द्वारा नगराम थाने में दर्ज कराई गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, 26 अगस्त 2008 को दोपहर करीब 11 बजे, गांव के ही विकास वर्मा ने 17 वर्षीय लड़की को बहला-फुसलाकर अपने प्रेम जाल में फंसा लिया और उसे अपने साथ भगा ले गया। गांव के मनोज और महादेव ने आरोपी को लड़की के साथ जाते हुए देखा था।
पुलिस ने मामले की विवेचना के दौरान पीड़िता को बरामद कर लिया और उसके बयान के आधार पर विकास वर्मा और गांव के ही पिंटू उर्फ अमरेंद्र कुमार रावत को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, अदालत ने पिंटू को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया, जबकि विकास वर्मा को दोषी ठहराया गया।
विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्रा ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए विकास वर्मा को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 17,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत का यह फैसला महिला सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता और न्याय की उम्मीद को मजबूती देता है।

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