भारतीय रेलवे अपने राजस्व को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पश्चिमी अफ्रीका के तटीय देश गिनी को इंजनों का निर्यात शुरू करने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून को बिहार के सारण जिले के मरहौरा स्थित डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री में निर्मित निर्यात के लिए पहले लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी पाटलिपुत्र (बिहार) और गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के बीच वंदे भारत ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाएंगे। यह पहली बार है जब भारतीय रेलवे लोकोमोटिव का निर्यात करेगा, जिससे इसके राजस्व में वृद्धि होगी।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले निर्यात लाइन ऑफ क्रेडिट के रूप में किया जाता था, जो विभिन्न देशों में विकास परियोजनाओं के लिए एक तरह की सहायता थी। इन इंजनों को बांग्लादेश, मोजाम्बिक जैसे देशों में भेजा गया था। अधिकारी ने बताया कि गिनी को तीन साल में कुल 150 इंजन सप्लाई किए जाएंगे। मरहोरा फैक्ट्री को पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बनाया गया है और इसे अमेरिकी कंपनी वेबटेक के हिस्से जीई ट्रांसपोर्टेशन और भारतीय रेलवे के संयुक्त उद्यम द्वारा चलाया जाता है।
अधिकारी ने कहा, “इस कारखाने ने गिनी द्वारा जारी वैश्विक निविदा में बोली जीती है। इन इंजनों का उपयोग देश की लौह अयस्क खदानों से माल ढुलाई के लिए किया जाएगा। ये 4,500 हॉर्स पावर (एचपी) के इंजन हैं। इसमें कई सुविधाएं होंगी जैसे कि फॉगिंग के लिए विंडशील्ड हीटिंग, इंसुलेटेड छत, शौचालय, एयर कंडीशनिंग आदि। रेक दोनों तरफ से दो इंजनों से जुड़ी होगी। इसलिए इसमें एक डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम (डीपीडब्ल्यूसीएस) भी होगा, जो एक ट्रेन में कई इंजनों के वायरलेस नियंत्रण की अनुमति देगा। ये इंजन 8,000 टन का माल ले जा सकेंगे। दो इंजन एक साथ अधिकतम स्वीकार्य गति के साथ 100 वैगनों का भार ले जा सकेंगे। इसके 24 घंटे में 1,200 किलोमीटर की दूरी तय करने की उम्मीद है।”