ऐसी चर्चा है कि इस बार इस सीट से कोई स्थानीय नेता ही चुनाव लड़ेगा। हालांकि इस संसदीय सीट से इस बार कई लोग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, चर्चा यह है कि इस बार बीजेपी किसी स्थानीय व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाएगी। क्योंकि इस बार वहां की जनता ने बाहरी प्रत्याशी का विरोध करने का पूरा मन बना लिया है। ऐसे में पिछले दस-पंद्रह वर्षों से सैकड़ों धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों के जरिए क्षेत्र में सक्रिय रहने वाली सविता सिंह सौरोत पर सबकी निगाहें टिकी हुईं हैं।
वह बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, मिशन के तहत 2012 से ही प्रोग्राम करते आ रही हैं। अब तक इस मिशन के तहत इन्होंने सैकड़ों कार्यक्रम कर दिए होंगे। भागवत कथा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के ज़रिए वह हिन्दू समाज के बीच अच्छी खासी पैंठ बना चुकी हैं। जब से फ़िल्म स्टार हेमा मालिनी इस सीट से सांसद बनी हैं, तब से यह सीट हाई प्रोफाइल बन गई है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी यहां से किसी नए व्यक्ति को टिकट देने वाली है। वैसे भी बीजेपी की पॉलिसी के मुताबिक हेमा मालिनि को टिकट नहीं मिलने वाला है। बीजेपी ने 75 वर्ष और इसके ऊपर के नेताओं को टिकट ना देने का नियम बना रखा है।
हेमा मालिनी ने कुछ दिन पहले ही अपना 75 वां जन्मदिन मनाया था। बीजेपी अगर अपने नियम के मुताबिक टिकट वितरण करती है तो हेमा मालिनि का टिकट कटना तय है। अगर ऐसा होता है तो संभव है कि बीजेपी किसी ऐसी महिला को उम्मीदवार बनाए, जो क्षेत्र में सक्रिय होने के साथ-साथ जातीय समीकरण के हिसाब से भी फिट बैठती हों। सविता सिंह सौरोत उस हिसाब से बीजेपी के लिए शायद सही उम्मीदवार साबित हो सकती हैं। चूंकि मथुरा संसदीय क्षेत्र में लगभग 18 लाख वोटर हैं। जिसमें सबसे ज्यादा जाट वोटर हैं।
जाट वोटरों की संख्या साढ़े तीन लाख से ज्यादा है। जबकि दूसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता है। इनकी संख्या लगभग तीन लाख के आस-पास है। सविता सिंह पढ़ी लिखी होने के साथ-साथ जाट बिरादरी से भी ताल्लुक़ रखती हैं। ऐसे में यही माना जा रहा कि सविता सिंह पर एक बार बीजेपी दांव लगा सकती है। हालांकि आजकल सविता सिंह नवरात्रों की पूजा अर्चना में व्यस्त हैं। शायद माँ दुर्गा की पूजा कर वह एक बार क्षेत्र की जनता की सेवा करने का आशीर्वाद जरूर मांग रही होंगी।