मणिपुर में हिंसा का दौर थमता नजर नहीं आ रहा है। यहां मैतेई और कुकी समुदाय के बीच लगातार झड़प हो रही है। इस झड़प में अब तक 100 लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों घर और गाड़ियां फूंकी जा चुकी हैं। दर्जनों गांव के लोग सेना के अस्थायी कैंपों में शरण लिए हैं। मणिपुर सीएम एन बीरेन सिंह के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील भी बेअसर साबित नजर आ रही है। इस बीच मणिपुर की हिंसा से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसे सुनकर आप सिहर जाएंगे। यहां उपद्रवियों ने सात साल के बच्चे को उसकी मां और एक रिश्तेदार से साथ जिंदा जला दिया। घटना के समय सभी लोग एक एबुलेंस पर सवार होकर इलाज कराने जा रहे थे। लेकिन घायल बच्चे और उसकी बेबस मां को देखकर भी उपद्रवियों का कलेजा नहीं पसीजा।
इंफाल से 15 किमी दूर सेना के कैंप पर भी हो रही फायरिंग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजधानी इंफाल से लगभग 15 किमी दूर पश्चिम कांगचुप में असम राइफल्स का एक कैंप है। जहां हिंसा पीड़ित कुकी समुदाय के कई परिवार शरण लिए हुए हैं। यहां कभी-कभार बाहर से फायरिंग होती है। शरण लिए हुए कुकी समुदाय के लोगों का कहना है कि यह हमला मैतेई समुदाय के लोग कैंप को निशाना बनाते हैं। रविवार को ऐसे ही एक हमले में ये तीनों घायल हो गए थे।
बताया गया कि तीनों के घायल होने पर कैंप के अधिकारियों ने इंफाल पश्चिम के SP इबोम्चा सिंह से संपर्क किया और उनसे पीड़ितों को अस्पताल ले जाने की अपील की। शाम 5:16 मिनट पर SP की निगरानी में मरीजों और एक नर्स को लेकर एंबुलेंस कैंप से रवाना हुई, लेकिन बीच रास्ते में करीब 2000 लोगों ने एंबुलेंस को घेरकर उसे आग के हवाले कर दिया।
मालूम हो कि मणिपुर की राजधानी इंफाल में 3 मई से मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़प हो रही है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है। कुछ लोगों ने हथियार सरेंडर किए हैं। अभी बहुत कुछ होना बाकी है।
इधर बुधवार को मणिपुर के कुकी आदिवासी समुदाय की महिलाओं के एक समूह ने पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा के खिलाफ बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में 29 मई से 1 जून तक मणिपुर का दौरा किया था। जानकारी के मुताबिक, महिलाएं अमित शाह के आवास के बाहर सुबह करीब नौ बजे जमा हुईं।
लेकिन बाद में पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और जंतर मंतर लाया गया। हमने उन्हें सूचित किया कि अगर वे चाहें तो वहां विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।
मणिपुर में हिंसा भड़कने की बड़ी वजह हाईकोर्ट के द्वारा मैती समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को स्वीकार करना है। हाईकोर्ट के इसी फैसले के बाद मैती समुदाय निशाने पर आ गया और राज्य में हिंसा भड़क उठी। सेना की तैनाती के बावजूद 35 हजार से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा।
मणिपुर में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर द्वारा मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में 11 पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद से मणिपुर में जातीय हिंसा हुई। हिंसा में अब तक 320 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं।