अमरीका के अखबार ‘फादनैशियल टाइम्स में आतंकी गुरफ्तवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश को लेकर प्रकाशित हुई खबर ने भारत को लेकर पश्चिमी देशों के रवैये की पोल खोल दी है। फाइनेंशियल टाइम्स की यह खबर सरकारी सूत्रों के हवाले से छापो गई है। इस खबर में यह भी लिखा गया था कि अमरीका की सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले में भारत को आगाह किया था। विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि अमरीका अपने फायदे के लिए भारत का इस्तेमाल कर रहा है और भारत के साथ उसका रिश्ता सच्ची दोस्ती बाला नहीं है। यदि दोनों देशों के संबंध सच में बहुत ज्यादा मजबूत होते, तो दोनों देशों के अधिकारियों के मध्य हुई आंतरिक बातचीत इस तरीके से मीडिया में लीक नहीं होती।

गुरपतवंत पन्नू से जुड़ा हुआ मामला भारत के लिए इसलिए भी संवेदनशील है क्योंकि 18 जून को सरी में आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडी ने कनाडा की संसद में खड़े होकर भारत का हाथ होने की बात कही है। हालांकि टूडो के इन आरोपों के बाद किसी भो देश ने खुले तौर पर भारत के खिलाफ आवाज नहीं उठाई है। लेकिन अमरीका, यू.के. और आस्ट्रेलिया ने इसे गंभीर मामला बताते हुए भारत को कनाडा के साथ मामले में सहयोग करने के लिए कहा है।

2014 के चुनाव में भारत में हुए सता परिवर्तन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत की विदेश नीति में भारी बदलाव आया है और भारत अच पश्चिमो देशों का पिछलग्गु बनने की बजाय आक्रामक रूप से विदेश नीति कर रहा है। यही बात क्रिश्चियन वर्ल्ड को अखर रही है और पश्चिमी देश कभी मणिपुर में चत्रों पर हुए हमलों के बहाने तो कभी खालिस्तानियों के बहाने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पश्चिमी देशों को भारत की अर्थव्यवस्था में आ रही तेजी और मजबूत लीडरशिप रास नहीं आ रही है, लिहाजा पश्चिमी देश भारतीय चुनाव को प्रभावित करने के लिए वैश्विक स्तर पर भारत के खिलाफ इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।

पश्चिमी देश निज्जर की हत्या के मामले में भारत को तो कनाडा का सहयोग करने की बात कह रहे हैं, लेकिन कनाडा की धरती पर बैठकर भारत में आतंकी गतिविधियां चला रहे और टार्गेट किलिंग कर रहे गैंगस्टरों को भारत के हवाले करने के लिए कनाडा पर दवाव नहीं बना रहे। भारत कई चार इस विषय में कनाडा को डाबियर देकर कनाडा में बैठे और भारत में वाछित अपराधियों के काले कारनामे बता चुका है, लेकिन इसके बावजूद इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। भारत द्वारा कनाड़ा को लगातार की जा रही गुजारिश पर पश्चिमी देशों की चुप्पी ने भी भारत को लेकर पश्चिमी देशों के दोहरे रवैये की पोल खोल दी है।

पिछले कुछ वर्षों से अमरीका और चीन के मध्य रिश्तों में खटास चल रही थी। खाम तौर पर कोरोना महामारी के फैलने के लिए पश्चिमी जगत चीन को ही विलेन मानता रहा है और अमरीका और चीन के मध्य कई कार टकराव की स्थिति भी पैदा हो गई। खास तौर पर ताईवान के मामले में अमरीका ने खुलकर ताईवान का साथ दिया और चीन के खिलाफ पश्चिमी देशों को एकजुट किया। चीन के साथ चल रहे टकराव के कारण अमरीका ने भारत के साथ नजदीकी बनाई और भारत का भी इस्तेमाल करने की हद तक चला गया। दक्षिण एशिया में चीन का प्रभाव कम करने के लिए बनाए गए क्वैड देशों के समूह में भारत को शामिल किया गया।

इस समूह में भारत के अलावा कनाडा, जापान, अमरीका और आस्ट्रेलिया शामिल है और इस समूह का इस्तेमाल भी चीन के खिलाफ ही किया जाता है। अमरीका के साथ भारत की नजदीकी के चलते ही भारत ने रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहे युद्ध में खुले तौर पर रूस का साथ नहीं दिया, जबकि रूस भारत का पुराना मित्र है। विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि भारत की इसी नीति के कारण चीन रूस के करीब हो गया और अब चीन और अमरीका के मध्य बढ़ रही नजदीकियों और राष्ट्रपति जो बाइडेन व शी जिनपिंग के मध्य हुई मुलाकात के बाद अमरीकी प्रशासन के अधिकारियों ने भारत के खिलाफ जाने वाली इस खबर को मीडिया में लीक करवा दिया।

अमरीका के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित इस रिपोर्ट के बाद खालिस्तानियों को वैश्विक स्तर पर भारत के खिलाफ प्रोपगंडा फैलाने का मौका मिल गया है। सखालिस्तानी पहले से ही दुनिया भर के गुरुद्वारों में एकजुट होकर भारत के खिलाफ भड़ास निकालने का काम कर सहे हैं और हरदीप सिंह निम्वर की हत्या के बाद भारत के खिलाफ यह प्रोपेगंडा ज्यादा तेज हो गया था। लेकिन अब अमरीका में गुरपतवंत पन्नू की हत्या की साजिश की खबर के सामने आने के बाद अमरीकी प्रशासन ने खालिस्तानियों की और ज्यादा आक्रामक होने का मौका दे दिया है।

 

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