आश्विन मास की नवरात्री का आज से प्रारंभ हो रहा है। शारदीय नवरात्र पर दुर्गा माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस अवसर पर घरों व मंदिरों में माता के स्वरूप की प्रतिमा को विराजमान किया जाता है और पूजा अर्चना की जाती है। मंदिरों व घरों में माता की चौकियां भी लगाई जाती है, जिनमें माता के भजनों का गुणगान किया जाता है।
शारदीय नवरात्र आश्विन मास की प्रथमा से शुरू हो रहा है। शनिवार को अमावस्या पर पितरों का तृपण किया गया, जिसमें घरों में लोगों ने अपने-अपने पितरों का पूजा अर्चना करते हुए तृपण किया तथा पितरों से परिवार की खुशहाली की प्रार्थना की। इसके बाद शाम को घरों में माता दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया गया। शहर के सभी मंदिरों को आकर्षक रूप से सजाया गया है। नवरात्र पर मंदिरों में माता का विशेष साज श्रंगार किया गया है। इस अवसर पर मंदिरों में भजन-कीर्तन मां दुर्गा का पाठ व मां दुर्गा चालीसा आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। शनिवार को घरों में माता दुर्गा के स्वरूप को विराजमान किया गया है। पंडित ध्यान चंद कुश ने बताया कि रविवार को नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। शारदीय नवरात्र पर घटनास्थापना का शुभ मुहुर्त रविवार को प्रात: 6.30 बजे से 8.47 तक का है और अभिजित मुहुर्त 11.30 बजे से दोपहर 12.38 तक रहेगा। उन्होंने बताया कि नवरात्र पर मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है और पूजा अर्चना के बाद माता दुर्गा के स्वरूप पर उनका प्रिय भोग व प्रिय फल अर्पित किया जात है।
नवरात्र स्वरूप प्रिय भोग प्रिय फल
15 अक्टूबर प्रथम शैलपुत्री घी का भोग अनार
16 अक्टूबर द्वितीय ब्रह्मचारिणी चीनी का भोग सेब
17 अक्टूबर तृतीय चन्द्रघण्टा दूध का भोग केला
18 अक्टूबर चतुर्थ कूषमाण्डा मालपुआ का भोग नाशपाती
19 अक्टूबर पंचम स्कन्दमाता केले का भोग अंगूर
20 अक्टूबर षष्ठम कात्यायनी शहद का भोग अमरूद
21 अक्टूबर सप्तम कालरात्रि गुड़ का भोग चीकू
22 अक्टूबर अष्टम महागौरी नारियल का भोग शरीफा
23 अक्टूबर नवम सिद्धदात्री सफेद तिल का भोग संतरा
घरों में स्थापित हुई माता की प्रतिमाएं
शारदीय नवरात्र पर शनिवार की शाम को माता दुर्गा के स्वरूप की प्रतिमा का विराजमान किया गया है। रविवार को प्रात: माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाएगी। रविवार को प्रात:काल मुहुर्त में माता रानी का घटस्थापना किया जाएगा, जिसमें मिट्टी की दोघड यानि घड़े में गंगाजल भरकर आम के पत्तों से ढककर उस पर नारियल रखकर पूजा अर्चना की जाएगी। इसके पश्चात मिट्टी को एक पात्र में रखकर उसमें नवरात्रे यानि जौ भी बोये जाएंगे। माता रानी का साज श्रंगार किया जाएगा और ज्योत प्रज्जवलित कर पूजा प्रारंभ की जाएगी।
मंदिरों में विशेष सजावट
शारदीय नवरात्र पर शहर के सभी मदिरों में विशेष प्रकार से आकर्षक रूप से माता की प्रतिमाओं को सजाया गया है। मंदिरों में प्रात:काल से ही पूजा अर्चना कर मां दुर्गा का पाठ प्रारंभ हो जाएंगे। इस अवसर पर मंदिरों में भजन कीर्तन आदि के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया है।