मंडुवे के चॉकलेट पोषक तत्वों का खजाना बनकर सामने आए हैं। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में उगने वाला मंडुवा अब लोगों की सेहत का राज बन गया है। चॉकलेट का नाम सुनते ही पैरेंट्स बच्चों को दांत और स्वास्थ्य खराब होने की बात कहते हुए इसे न खाने की नसीहत देते हैं।बावजूद इसके बच्चे हमेशा ही चॉकलेट की जिद पर अड़े रहते हैं। चॉकलेट से पौष्टिकता मिले और सेहत के लिए भी फायदेमंद हो तो बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इसे बेफ्रिक होकर खा सकते हैं। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के प्रोसेस एंड फूड इंजीनियरिंग विभाग ने अंकुरित मंडुवे के आटे और गुड़ से बनी चॉकलेट तैयार की है। इस शोध और प्रोडक्ट को पेटेंट कराने के लिए विभाग ने अप्लाई कर दिया है। ये चॉकलेट फाइबर, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम से भरपूर होगी।

जीबी पंत विवि के प्रोसेस एंड फूड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन चंद्र शाही के मुताबिक अंकुरित मंडुवे के आटे और गुड़ से यह चॉकलेट बनाई गई है। इसमें ड्राई मिल्क की मात्रा को करीब 60 फीसदी तक कम किया गया है। इस चॉकलेट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम है। फाइबर, पोटेशियम, कैल्शियम के साथ अन्य मिनरल्स की भरपूर मात्र इस चॉकलेट में रहेगी। इससे यह चॉकलेट सेहत के लिए अच्छी होगी। डायबिटीज के मरीजों को शुगर लेने में दिक्कत होती है। गुड़ भी मीठा होता है, गुड़ में अन्य कई पोषक तत्व होते हैं जो मरीज के लिए फायदेमंद हैं। ऐसे में डायबिटीज के मरीज भी इस चॉकलेट का स्वाद ले सकेंगे।
 डॉ. नवीन चंद्र शाही के मुताबिक, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मंडुवे का उत्पादन होता है। ऐसे में विवि की ओर से तैयार इस चॉकलेट का पेटेंट होने के बाद इसके व्यावसायिक उत्पादन के लिए उद्योगों से कॉन्ट्रेक्ट किया जाएगा। इससे किसानों की मंडुवे की बिक्री बढ़ेगी और उन्हें अच्छे दाम भी मिल सकेंगे।इस प्रोजेक्ट में डॉ. नवीन चंद्र शाही, डॉ. यूसी लोहानी, डॉ. एके वर्मा और एमटेक की छात्रा दीक्षा चौबे। वहीं डीन प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, निदेशक अनुसंधान की प्रमुख भूमिका रही है।

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