कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि पिछले साल कनाडाई नागरिक की हत्या में भारतीय अधिकारियों की संलिप्तता के आरोपों से संबंधित जो भी सूचनाएं उसके पास हैं उन्हें उसने विशेष रूप से अमेरिका सहित अपने निकट सहयोगियों के साथ साझा किया है।
ट्रूडो द्वारा जल्दबाजी में आयोजित यह संवाददाता सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है जब भारत ने सोमवार को कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया तथा कनाडा से अपने उच्चायुक्त और ‘‘निशाना बनाए जा रहे’’ अन्य राजनयिकों एवं अधिकारियों को वापस बुलाने की घोषणा की।
सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच से भारतीय राजनयिकों को जोड़ने के कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए भारत ने यह कार्रवाई की है। इससे दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में और कटुता आ गई है।
ट्रूडो ने ओटावा में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पिछली गर्मियों से ही हम अपने साझेदारों, खासकर अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जहां न्यायेतर हत्या के प्रयास के मामले में भारत का इसी तरह बर्ताव सामने आया था।’’
उन्होंने कहा कि हम अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे तथा कानून के शासन के लिए एकजुट रहेंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अब तक अपने दो करीबी सहयोगियों और साझेदारों के बीच राजनयिक संकट पर कोई बयान नहीं दिया है।
विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बयान में कहा कि भारत के खिलाफ उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को ट्रूडो सरकार के समर्थन के जवाब में, भारत आगे कदम उठाने का अधिकार रखता है।’’
मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री ट्रूडो का भारत के प्रति बैरपूर्ण रुख लंबे समय से स्पष्ट है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘ट्रूडो ने 2018 में भारत की यात्रा की थी जिसका मकसद वोट बैंक को साधना था, लेकिन यह यात्रा उन्हें असहज करने वाली साबित हुई। उनके मंत्रिमंडल में ऐसे व्यक्ति शामिल हैं, जो भारत को लेकर चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं। दिसंबर 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में उनका स्पष्ट हस्तक्षेप दिखाता है कि वह इस संबंध में कहां तक जाना चाह रहे थे।’’
संवाददाता सम्मेलन के दौरान ट्रूडो ने कहा कि स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है।
ट्रूडो ने कहा, ‘‘हम सिर्फ यही चाहते हैं कि कनाडा के लोगों को उनके समुदायों में, उनके घरों में हिंसा का सामना नहीं करना पड़े… हम यह भी चाहते हैं कि भारत के साथ संबंधों में भी तनाव पैदा न हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने पिछले सप्ताह अपनी सुरक्षा एजेंसियों, राजनयिकों और पुलिस एजेंसियों के माध्यम से भारत सरकार से संपर्क किया, ताकि इस गहरे मतभेद को दूर करने का रास्ता खोजा जा सके… कनाडावासियों की रक्षा की जा सके… वहीं भारत और कनाडा के बीच के अच्छे संबंध प्रभावित नहीं हों।’’
कनाडा के प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से, भारत ने ‘‘हमारे साथ काम करने का विकल्प नहीं चुना है। उन्होंने इस (ट्रूडो) सरकार के खिलाफ व्यक्तिगत हमले करने, उसे नकारने और उसे पीछे धकेलने का विकल्प चुना और हमारी एजेंसियों तथा संस्थानों की ईमानदारी पर सवाल उठाया। इसलिए हमें कनाडा के लोगों की सुरक्षा के लिए जवाब देना पड़ा है।’’
ट्रूडो ने आरोप लगाया, ‘‘मेरा मानना है कि भारत ने अपने राजनयिकों और संगठित अपराध का इस्तेमाल करके कनाडा के लोगों पर हमला करने, उन्हें अपने घरों में असुरक्षित महसूस कराने और इससे भी बढ़कर हिंसा तथा यहां तक कि हत्या की वारदातों को अंजाम देने का रास्ता चुनकर एक बड़ी गलती की है। यह अस्वीकार्य है।’’
ट्रूडो ने कहा कि उन्होंने पिछले सप्ताह इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी।
उन्होंने कहा, “जैसा कि आरसीएमपी आयुक्त ने पहले कहा था, उनके पास स्पष्ट सबूत हैं कि भारत सरकार के एजेंट ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं और अभी भी शामिल हैं। इससे सार्वजनिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा होता है, जिनमें गोपनीय सूचना जुटाने की तकनीक, दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों को निशाना बनाकर उनके साथ दंडात्मक व्यवहार करना और हत्या सहित एक दर्जन से अधिक धमकी भरे और हिंसक कृत्यों में संलिप्तता शामिल है।”
ट्रूडो ने दावा किया कि आरसीएमपी और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों ने इस मामले में भारत के साथ मिलकर काम करने का प्रयास किया है, लेकिन उन्हें बार-बार अस्वीकार कर दिया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया, “यही कारण है कि इस सप्ताहांत, कनाडाई अधिकारियों ने एक असाधारण कदम उठाया। उन्होंने आरसीएमपी के साक्ष्य साझा करने के लिए भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें निष्कर्ष निकला कि भारत सरकार के छह एजेंट आपराधिक गतिविधियों में कथित रूप से संलिप्त हैं।”
उन्होंने दावा किया, “भारत से बार-बार अनुरोध के बावजूद, उसने सहयोग न करने का फैसला किया है।”
भारत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कनाडाई राजनयिकों को 19 अक्टूबर को रात 11:59 बजे तक या उससे पहले देश छोड़ने के लिए कहा है।