प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को कहा कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिये आतंकवाद के खिलाफ एक “नयी लक्ष्मण रेखा” खींची है और उम्मीद है कि इस सैन्य कार्रवाई से हमारे शत्रु को कुछ सबक मिला होगा।
यहां ‘शांगरी-ला डायलॉग’ से जुड़े कार्यक्रम के दौरान, हालिया ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान संबंधों में “रणनीतिक स्थिरता” से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देते हुए सीडीएस ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है, “उम्मीद है कि वे इसे समझेंगे।”
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद, सात मई की सुबह ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था, जिसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के नौ ठिकानों पर हमले किए गए थे।
वहीं, पाकिस्तान ने भी जवाबी हमले किए थे। पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे। भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चले सैन्य संघर्ष ने परमाणु हथियारों से लैस दोनों पड़ोसी देशों को एक व्यापक संघर्ष के कगार पर ला खड़ा किया था।
हालांकि, संघर्ष विराम के लिए सहमति बनने के बाद 10 मई को हमले रोक दिए गए थे। दोनों देशों के बीच टकराव से मिली सीख के बारे में पूछे जाने पर जनरल चौहान ने कहा कि भारत ने ऑपरेशन के दौरान दूसरे देशों की स्वदेशी प्रणालियों और प्लेटफार्मों का भी इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, हम 300 किलोमीटर तक की हवाई सुरक्षा को सटीकता के साथ भेदने में सक्षम थे।”
जनरल चौहान और विभिन्न देशों के कई अन्य रक्षा प्रमुखों या प्रतिनिधियों ने एशिया के एक प्रमुख शिखर सम्मेलन शांगरी-ला डायलॉग के एक भाग के रूप में आयोजित भविष्य की चुनौतियों के लिए रक्षा नवाचार संसाधान विषय पर सेमिनार के दौरान संबोधन दिया। बाद में उन्होंने सेमिनार के दौरान कई सवालों के जवाब दिए, जिनमें ऑपरेशन सिंदूर और इसके निहितार्थ से जुड़े सवाल भी शामिल थे।
जनरल चौहान ने कहा, भारत ने जो किया है, राजनीतिक रूप से उसने आतंकवाद के खिलाफ नयी लक्ष्मण रेखा खींच दी है और मुझे उम्मीद है कि इस विशेष ऑपरेशन से हमारे शत्रु को भी कुछ सबक मिलेगा और उन्हें समझ में आ गया होगा कि यह भारत की सहनशीलता की सीमा है।
सीडीएस ने कहा, ‘‘हम रक्षा खरीद प्रक्रियाओं को सरल बना रहे हैं ताकि हम भविष्य की प्रणालियों के बजाय भविष्य की तकनीक के साथ मौजूदा समय का युद्ध लड़ सकें।