पिछले साल कनाडा में हरप्रीत सिंह निझर की हत्या मामले को लेकर भारत-कनाडा सरकारों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि इस तनाव का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा असर नहीं पड़ा लेकिन पंजाब पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा है क्योंकि पंजाब के दोआबा और मालवा के लाखों छात्र इससे काफी प्रभावित हुए हैं और उनमें निराशा है।

इसका असर आस्ट्रेलिया, यू.के और अन्य देशों की सरकारों और यूनिवर्सिटियों पर भी पड़ा है। इसके साथ ही दाखिले की फीसें भी बढ़ा दी गई है और नियमों को भी सख्त कर  दिया गया है। भारत सरकार के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के जरिए सिख संगठनों और अन्य संगठनों ने ओटावा के पास हुई सिख विरोधी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाई है और वहां हिंदू-सिख तनाव को कम करने के लिए कदम उठाए हैं। लेकिन कनाडा सरकार द्वारा स्टूडेंट्स वीजा में जो कटौती की है, उससे पंजाबियों को सख्त धक्का लगा है।

एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका, कनाडा, यू. के., आस्ट्रेलिया और अन्य देशों को स्टडी वीजा पर वार्षिक 25-30 लाख  प्रति विद्यार्थी के रेट के साथ पंजाब से हर साल 70,000-75,000 करोड़ की रकम विदेशी यूनिवर्सिटियों को जा रही थी पर यह आंकड़ा अब आधा होगा क्योंकि पहले हर साल 2 लाख की वृद्धि होती रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कनाडा सरकार और वहां के विश्वविद्यालय नियम-कानून सख्त करते रहेंगे तो कभी सभी का स्वागत करने वाले कनाडा की छवि खराब हो जाएगी और विदेशी छात्र दूसरे देशों का रुख करने लगेंगे।

 

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