रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सुझाव दिया है कि चीन, भारत और ब्राजील यूक्रेन के संबंध में भविष्य की शांति वार्ता में मध्यस्थता कर सकते हैं। पुतिन ने बताया कि इस्तांबुल में हुई शुरुआती वार्ता के दौरान रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच जो प्रारंभिक समझौता हुआ था, उसे इन चर्चाओं के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रारंभिक समझौते को कभी अमल में नहीं लाया गया।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि चीन, भारत और ब्राजील यूक्रेन के साथ शांति वार्ता में संभवत: मध्यस्थता कर सकते हैं। पुतिन ने बताया कि इस्तांबुल में हुई शुरुआती वार्ता के दौरान रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच जो प्रारंभिक समझौता हुआ था, उसे इन चर्चाओं के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रारंभिक समझौते को कभी अमल में नहीं लाया गया।

पुतिन का मानना है कि भारत, चीन और ब्राज़ील में शांति वार्ता को आगे बढ़ाने की क्षमता है। उनकी भागीदारी से चल रहे संघर्ष का समाधान निकालने में मदद मिल सकती है। गौर करने वाली बात है कि मास्को के सेंट कैथरीन हॉल में आयोजित एक समारोह के दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल द फर्स्ट-कॉल्ड प्राप्त करने के बाद राष्ट्रपति पुतिन को गले लगाया था।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रूस और यूक्रेन दोनों देशों का दौरा किया है। रूस के साथ भारत के दीर्घकालिक संबंध और यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ मोदी के अच्छे संबंध भारत को मध्यस्थता के लिए अच्छी स्थिति में रखते हैं। इन यात्राओं के दौरान, भारत ने किसी भी शांति पहल का समर्थन करने की तत्परता जाहिर की थी।

पुतिन का हालिया बयान 6 अगस्त को कुर्स्क में यूक्रेन की एक बड़ी घुसपैठ के बाद बढ़े तनाव के बीच आया है। हज़ारों यूक्रेनी सैनिक ड्रोन, भारी हथियारों और पश्चिमी निर्मित तोपखाने का इस्तेमाल करके रूसी क्षेत्र में घुस आए। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से रूसी धरती पर सबसे बड़ा विदेशी हमला था।

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