बिहार से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। कथित तौर पर अवैध रूप से बिहार से उत्तर प्रदेश ले जाए जा रहे 95 बच्चों को उत्तर प्रदेश बाल आयोग ने रेस्क्यू किया है।
इन 95 बच्चों को यूपी बाल आयोग ने शुक्रवार (26 अप्रैल) को बचाया है। बचाए गए बच्चों के माता-पिता से संपर्क किया जा रहा है। ये सूचना चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की ओर से मिली थी।
सीडब्लूसी और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम बच्चों से भरी खचाखच बस को लेकर पुलिस लाइन पहुंची थी।हिन्दुस्तान के मुताबिक बस में बच्चे मुस्लिम समुदाय के थे और उनकी उम्र 4 साल से 12 साल के बीच की है। फिलहाल बच्चों से उनके घर-परिवार, माता-पिता के बारे में काउंसलिंग के जरिए पूछताछ की जा रही है।
बाल कल्याण समिति ने बताया, कैसे रेस्क्यू किए गए बच्चे?
अयोध्या बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि, ”सुबह लगभग 9 बजे, यूपी बाल आयोग की सदस्य सुचित्रा चतुर्वेदी ने फोन किया और कहा कि बिहार से बच्चों को अवैध रूप से सहारनपुर ले जाया जा रहा है और वे गोरखपुर में हैं और अयोध्या के रास्ते जाएंगे। हमने बच्चों को बचाया, और उन्हें भोजन और मेडिकल की सुविधा दी।”
सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष ने आगे कहा कि, “जो लोग बच्चों को लाए थे उनके पास माता-पिता से कोई सहमति पत्र नहीं था। बच्चों की उम्र 4-12 वर्ष के बीच है और उनमें से अधिकांश ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है। माता-पिता से संपर्क किया जा रहा है और बच्चों को एक बार सौंप दिया जाएगा वे पहुंचे। कुल 95 बच्चे थे।”
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गोरखपुर में भी ऐसे ही मदरसों में भेजे गए बच्चों को बचाया गया था
इससे पहले बिहार से अलग-अलग राज्यों के मदरसों में भेजे जा रहे बच्चों के एक समूह को उत्तर प्रदेश राज्य बाल आयोग ने गोरखपुर में बचाया था। बच्चों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के आदेश पर राज्य बाल पैनल द्वारा बचाया गया था।
उस वक्त राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने लिखा था, ”बिहार से दूसरे राज्यों के मदरसों में भेजे जा रहे मासूम बच्चों को एनसीपीसीआर के निर्देश पर उत्तर प्रदेश राज्य बाल आयोग की मदद से गोरखपुर में बचाया गया है।”
उन्होंने कहा था कि, ”भारत के संविधान ने हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिया है। हर बच्चे के लिए स्कूल जाना अनिवार्य है। ऐसे में गरीब बच्चों को दूसरे राज्यों में ले जाकर धर्म के आधार पर चंदा कमाने के लिए मदरसों में रखना यह संविधान का उल्लंघन है।”