बिहार केंद्रीय चयन पर्षद सिपाही भर्ती मामले के प्रश्नपत्र लीक मामले को लेकर आर्थिक अपराध इकाई ने गुरुवार को बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि प्रश्न पत्र छपने से लेकर पहुंचाने तक कई कमियां पाई गईं हैं।

केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) परीक्षा पिछले साल एक अक्टूबर को आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के जरिए 21,391 सिपाही के रिक्त पदों की बहाली होनी थी। परीक्षा में 18 लाख अभ्यर्थियों ने फार्म भरा था। लेकिन परीक्षा की दोनों पालियों में परीक्षा प्रारम्भ होने से कई घंटे पूर्व ही, परीक्षा की उत्तर कुंजी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल हो गई। इसके बाद यह परीक्षा रद्द कर दी गई। मामले में राज्य के विभिन्न जिलों में 74 केस दर्ज किये गये और मामले की जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध इकाई को सौंप दी गई।

ईओयू ने मामले की प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन की। पुलिस उपमहानिरीक्षक, आर्थिक अपराध इकाई की अध्यक्षता में 18 सदस्यीय विशेष अनुसंधान दल का गठन किया गया। वरिष्ठ पुलिस उपाधीक्षक कुमार वीर धीरेन्द्र को अनुसंधानकर्ता नियुक्त किया गया। अनुसंधान के क्रम में पता चला कि केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती), बिहार, पटना ने परीक्षा से संबंधित प्रश्न पत्रों की प्रिंटिंग, पैकेजिंग एवं जिला कोषागार में सुरक्षित पहुंचाने का कार्य कोलकाता स्थित एक कंपनी को सौंपा था।

दरअसल यह कंपनी थी ही नहीं। इस कम्पनी का अपना कोई भी प्रिंटिंग प्रेस, वेयर हाउस या लॉजिस्टिक व्यवस्था नहीं है। कम्पनी ने ये सभी कार्य स्वयं न कर दूसरी कंपनी को ऑउटसोर्स कर दिया। कंपनी के मालिक कौशिक कर को गिरफ्तार कर लिया गया। अनुसंधान के क्रम में पता चला कि गिरफ्तार कौशिक कर के द्वारा ही दूसरी कंपनी बनाई गई थी।

जांच में यह भी साफ हुआ कि पर्षद द्वारा एकरारनामा एवं कार्यादेश में प्रश्न पत्र की प्रिंटिंग, पैकेजिंग एवं जिला कोषागार तक प्रश्न पत्र एवं अन्य गोपनीय सामग्री पहुंचाने की जिम्मेवारी जिस कंपनी को दी गई थी, उसने यह काम दूसरी कंपनी से कराया था। इसके अलावा प्रश्नपत्र प्रेस से जिला कोषागारों तक सीधे परिवहन करना था, लेकिन बिना मानक परिचालन प्रक्रिया का अनुपालन किये खुली गाड़ियों में बिना सील लॉक एवं बिना सुरक्षा कर्मी के प्रेस से कोलकाता स्थित वेयर हाउस में भेजा गया।

इसके बाद प्रश्न पत्र एवं गोपनीय सामग्रियों के जिला कोषागारों में न पहुंचाकर, पटना स्थित डीपी वर्ल्ड एक्सप्रेस लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के पटना स्थित वेयर हाउस में अनलोड किया गया। इसके बाद वहां से जिला कोषागारों में गोपनीय सामग्रियों को भेजने के लिए एक अन्य कंपनी को आउटसोर्स कर दिया गया।

अनुसंधान के क्रम में यह भी साफ हुआ कि प्रश्न पत्रों को ट्रांसपोर्ट करने वाली गाड़ियां जिला कोषागारों में जाने के क्रम में कई जगह रुकते हुए पहुंचीं। बताया गया कि गाड़ी पटना स्थित वेयरहाउस में लोड होने के बाद लगभग 6 घंटे से ज्यादा समय तक रुकी, जहां संजीव मुखिया के संगठित पेपर लीक गिरोह के सदस्यों द्वारा कंपनी के कर्मचारियों को पैसों का प्रलोभन देकर मोतिहारी जिला जाने वाली गाड़ी के बक्सों एवं इनवैलप को खोल कर परीक्षा से चार दिन पूर्व ही प्रश्न पत्रों को प्राप्त कर लिया गया।

प्रश्न पत्रों की फोटो लेने के बाद, इन पत्रों को हल किया गया एवं अभ्यर्थियों से पैसा लेकर इनकी उत्तर कुंजी उपलब्ध कराई गई । यह उत्तर कुंजी परीक्षा के दिन वायरल हो गई। ईओयू के अधिकारियों का दावा है कि इस मामले को लेकर कई साक्ष्य जुटाए गये हैं।

ईओयू के अधिकारी के मुताबिक इस मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें पश्चिम बंगाल के कौशिक कुमार कर, उत्तर प्रदेश के सौरभ बंदोपाध्याय, कोलकाता के सुमन विश्वास, 24 परगना के संजय दास के अलावा इस मामले के किंगपिन संजीव मुखिया गिरोह के अश्विनी रंजन उर्फ सोनी, विक्की कुमार और अनिकेत कुमार उर्फ बादशाह को गिरफ्तार किया गया है।

इस मामले का किंगपिन संजीव कुमार सिंह उर्फ संजीव मुखिया बीपीएससी शिक्षक नियुक्ति परीक्षा प्रश्नपत्र और नीट प्रश्न पत्र लीक मामले का भी किंगपिन बताया जा रहा है।

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