बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी तैयारी में लगे हुए हैं। हालांकि, बिहार चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को लेकर जबरदस्त तरीके से चर्चा है। और केंद्र में मंत्री होने के बावजूद भी चिराग पासवान की पार्टी की ओर से इस बात का ऐलान कर दिया गया है कि वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इतना ही नहीं, पार्टी ने तो यह भी कह दिया है कि वह किसी जनरल सीट से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर एक ओर नीतीश और मोदी के साथ मजबूती से खड़े रहने का दम भरने वाले चिराग पासवान के मन में क्या चल रहा है?
चिराग पासवान की पार्टी के सांसद अरुण भारती ने जिस तरीके से एक्स पर कई बातें लिखी, उससे तो साफ तौर पर ऐसा ही लग रहा है कि चिराग पासवान की पार्टी हर हाल में उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। लेकिन चिराग पासवान इस बात का दम भी भर रहे हैं कि बिहार में मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई वैकेंसी नहीं है। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहेंगे। ऐसे में सवाल यह है कि चिराग पासवान फिर बिहार में विधानसभा चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं? वह केंद्र सरकार में मंत्री है बिहार में भी उनकी पार्टी मजबूती से चुनाव लड़ सकती है। बिहार में पहले से ही एनडीए गठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा मौजूद है। ऐसे में चिराग की चाल को क्या समझा जाए? एनडीए में चिराग पासवान की पार्टी बिहार में तीसरे नंबर पर है। फिलहाल उनके पार्टी के एक भी विधायक नहीं है। ऐसे में सीधे मुख्यमंत्री बनने का सपना देखना भी दिलचस्प नजर आता है।
एनडीए की ओर से अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं तो भाजपा अपना दावा मजबूत करेगी। बिहार में चिराग पासवान मुख्यमंत्री को लेकर कितने मजबूत है, फिलहाल यह सवालों के घेरे में है। हालांकि, कई राजनीतिक विश्लेषक इसे दबाव की राजनीति भी बता रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि अगर चिराग पासवान बिहार चुनाव में उतरते हैं तो पार्टी एनडीए में खुद के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल कर सकती है। यही कारण है कि चिराग पासवान की पार्टी ने अलग-अलग नीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
इतना ही नहीं, यह एक दबाव की भी रणनीति हो सकती है ताकि गठबंधन के सहयोगी 2020 की आशंका को देखते हुए ज्यादा सीटें चिराग पासवान की पार्टी को दे सके। हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं है कि लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी का हंड्रेड परसेंट स्ट्राइक रेट रहा है। वह पार्टी जो 2020 में पूरी तरीके से टूट चुकी थी, उसने 2024 के चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया। चिराग पासवान की लोकप्रियता भी है। हालांकि, यह लोकप्रियता वोट बैंक में तब्दील हो पाएगी, इस पर भी नजर रखनी होगी। चिराग पासवान दलितों की राजनीति करते आ रहे हैं। उनके पिता रामविलास पासवान भी बड़े दलित नेता माने जाते थे। बिहार में एक आबादी का वोट उनके साथ है। लेकिन यह बहुत उतना ज्यादा नहीं है कि चिराग पासवान को मुख्यमंत्री बना सके। उनके पिता का भी यह सपना कभी पूरा नहीं हो पाया था।