कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड के बाद विकास दुबे और उसकी गैंग की 10 करोड़ से ज्यादा की काली संपत्ति अटैच की गई थी, चार सालों से ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले की जांच कर रही थी, अब पूरी हो चुकी है, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मारे गए माफिया विकास दुबे, उसकी पत्नी ऋचा दुबे और उसके पांच सहयोगियों के खिलाफ धनशोधन रोधी कानून के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है। संघीय एजेंसी ने एक बयान में बताया कि लखनऊ की धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामलों की विशेष अदालत के समक्ष मार्च में अभियोजन शिकायत दर्ज कराई गई और अदालत ने 29 मई को इस पर संज्ञान लिया।

ईडी ने आरोप लगाया कि जांच के दौरान पाया गया कि विकास दुबे और उसके सहयोगी भू माफिया, रंगदारी, हत्या, जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत आवंटित राशि में गबन सहित विभिन्न अपराधों में संलिप्त थे। ईडी ने विकास दुबे और अन्य के खिलाफ धनशोधन का मामला उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों के आधार पर दर्ज किया है। विकास दुबे के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच में तब तेजी आई जब तीन जुलाई 2020 की आधी रात पुलिस की टीम कानपुर के बिकरु गांव में उसे गिरफ्तार करने गई और इस दौरान हुई मुठभेड़ में पुलिस उपाधीक्षक सहित आठ पुलिसकर्मी मारे गए।

पुलिस के मुताबिक 10 जुलाई 2020 को विकास दुबे मुठभेड़ में उस समय मारा गया जब उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था और वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसने भागने की कोशिश की। ईडी ने जांच के तहत विकास दुबे, उसके सहयोगी जयकांत बाजपेयी और उनके परिवार के सदस्यों की करीब 10.12 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति जब्त की है।

 

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