लखनऊ/नई दिल्लीः समान नागरिक संहिता पर राय मशविरा के लिए संसदीय समिति ने 3 जुलाई यानी सोमवार को एक अहम बैठक बुलाई है। वहीं, 20 जुलाई से संसद सत्र भी शुरू हो रहा है। इन सबके बीच आप, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बाद अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी समान नागरिक संहिता का समर्थन किया है। उन्होंने कहा- उनकी पार्टी समान नागरिक संहिता के विरोध में नहीं है। मगर संविधान इसे थोपने का समर्थन नहीं करता है। समान नागरिक संहिता लागू करने के भाजपा मॉडल पर हमारी असहमति मानसिकता की राजनीति करने की कोशिश कर रही है। इधर, कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा 15 जून को ही हमने कह दिया था कि सभी पक्षों की सहमति से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में लागू किया जाना चाहिए।
मायावती ने कहा कि भारत की विशाल आबादी में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी सहित विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, जिनके अलग अलग रस्म और रिवाज हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अगर देश में सभी के लिए एक जैसा कानून लागू होगा तो इससे देश कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत होगा और आपसी सौहार्द बढ़ेगा। इसीलिए संविधान में समान नागरिक संहिता का जिक्र किया गया है, लेकिन उसे जबरन थोपने का प्रावधान संविधान में निहित नहीं है। इसके लिए जागरूकता व आम सहमति का रास्ता अपनाया जाना चाहिए।
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि समान नागरिक संहिता पर प्रारूप देखकर पार्टी अपना रुख स्पष्ट करेगी। उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र में पेश होने जा रहे समान नागरिक संहिता पर पार्टी सभी भारतीयों के हित की पूरी सुरक्षा करेंगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हिन्दू, मुसलमान, सिख व ईसाई सहित देश के सभी समुदायों की भावनाओं से चुनावी लाभ के लिए खिलवाड़ करने के लिए केंद्र सरकार के प्रयास को किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए देश हित सर्वोपरि रहा है और भाजपा इसके विपरीत चुनावी लाभ के लिए हर समय ध्रुवीकरण की राजनीति के जरिए देश को कमजोर करने का प्रयास करती रही है।